यक़ीन मानिए इस आदमख़ोर गाँव में मुझे डर लगता है बहुत डर लगता है। लगता है कि बस अभी ठकुराइसी…
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ठाकुर का कुआँ – ओम प्रकाश वाल्मीकि
चूल्हा मिट्टी कामिट्टी तलाब कीतालाब ठाकुर का। भूख रोटी कीरोटी बाजरे कीबाजरा खेत काखेत ठाकुर का। बैल ठाकुर काहल ठाकुर…
ओम प्रकाश वाल्मीकि की आत्मकथा पढ़ते हुए मैं बेहद पिघल गया था – ओमसिंह अशफाक
ओमसिंह अशफाक ओम प्रकाश वाल्मीकि (30-6-1950—18-11-2013) जी से मेरी मुलाकात सिर्फ तीन बार हुई, लेकिन फोन पर चार-पांच बार की…
दलित जब लिखता है
सुनो ब्राह्मण - और सफेद हाथी मलखान सिंह की कविताएं हरियाणा सृजन उत्सव में 24 फरवरी 2018 को ‘दलित जब…