राष्ट्रभाषा हिन्दी – राहुल सांकृत्यायन
Post Views: 58 कुछ लोगों तथा संस्थाओं की ओर से मुझसे राष्ट्रभाषा हिन्दी के सम्बन्ध में कुछ प्रश्न पूछे गये हैं। इनका उत्तर में लिखित रूप में नीचे दे रहा
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वैसे भी हिन्दुस्तानी कहने से जिस तरह व्यापक राष्ट्रीयता और सामाजिक समरता का बोध होता है उस तरह हिन्दी कहने से नहीं. जैसे पंजाबियों की पंजाबी, मराठियों की मराठी, बंगालियों की बंगाली, तमिलों की तमिल, गुजरातियों की गुजराती का बोध होता है उसी तरह हिन्दुस्तानी कहने से हिन्दुस्तानियों की हिन्दुस्तानी का बोध होता है. (लेख से) … Continue readingगाँधी जी की राष्ट्रभाषा ‘हिन्दुस्तानी’ का क्या हुआ? – अमरनाथ
स्मिताओं की राजनीति करने वाले कौन लोग हैं ? कुछ गिने –चुने नेता, कुछ अभिनेता और कुछ स्वनामधन्य बोलियों के साहित्यकार। नेता जिन्हें स्थानीय जनता से वोट चाहिए। उन्हें पता होता है कि किस तरह अपनी भाषा और संस्कृति की भावनाओं में बहाकर गाँव की सीधी-सादी जनता का मूल्यवान वोट हासिल किया जा सकता है। (लेख से) … Continue readingचिन्दी चिन्दी होती हिन्दी। हम क्या करें?- अमरनाथ
आज यदि अभिभावक अंग्रेजी माध्यम की मांग कर भी रहे हैं तो उसका कारण स्पष्ट है. अंग्रेजी पढ़ने से नौकरियां मिलती हैं. जब चपरासी तक की नौकरियों में भी सरकार अंग्रेजी अनिवार्य करेगी तो अंग्रेजी की मांग बढ़ेगी ही. यह एक ऐसा मुल्क बन चुका है जहां का नागरिक चाहे देश की सभी भाषाओं में निष्णात हो किन्तु एक विदेशी भाषा अंग्रेजी न जानता हो तो उसे इस देश में कोई नौकरी नहीं मिल सकती (लेख से ) … Continue readingहिन्दी वालों की हिन्दी वालों से हिन्दी के लिए लड़ाई- अमरनाथ
वस्तुत: हिन्दी साहित्य के इतिहास में जिसे हम अबतक रीतिकाल कहते आये हैं वह रीतिकालीन ब्रजभाषा का साहित्य हमारे जातीय साहित्य की मुख्य धारा का हिस्सा नहीं है, क्योंकि यह साहित्य तत्कालीन बहुसंख्यक जनता की चित्तवृत्तियों को प्रतिबिम्बित नहीं करता। अपवादों को छोड़ दें तो दो सौ वर्षों से भी अधिक समय तक के इस कालखण्ड के अधिकाँश हिन्दी कवि दरबारी रहे और अपने पतनशील आश्रयदाता सामंतों की विकृत रुचियों को तुष्ट करने के लिए श्रृंगारिक कविता या नायिकाभेद लिखते रहे। (लेख से) … Continue readingहिन्दी जाति और उसका साहित्य- अमरनाथ
शिक्षा को पूरी तरह निजी हाथों में सौंप देगी. शिक्षा इतनी मंहगी हो जाएगी कि ज्ञान और प्रतिष्ठित नौकरियां भी थोड़े से अमीर लोगों के हाथ में सिमटकर रह जाएंगी. अपने घरों में स्थानीय बोलियाँ बोलने वाले किसानों और मजदूरों के ग्रामीण बच्चे भला महानगरों के पाँच सितारा अंग्रेजी माध्यम वाले बच्चों का मुकाबला कैसे कर सकेंगे? (लेख से) … Continue readingराष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 : ठेंगे पर राजभाषा- अमरनाथ
गाँधी जी चाहते थे कि बुनियादी शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक सब कुछ मातृभाषा के माध्यम से हो. दक्षिण अफ्रीका प्रवास के दौरान ही उन्होंने समझ लिया था कि अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा हमारे भीतर औपनिवेशिक मानसिकता बढ़ाने की मुख्य जड़ है. ‘हिन्द स्वराज’ में भी उन्होंने लिखा कि, “करोड़ों लोगों को अंग्रेजी शिक्षण देना उन्हें गुलामी में डालने जैसा है. (लेख से ) … Continue readingपराई भाषा में पढ़ाई और गाँधी जी- अमरनाथ
Post Views: 26 हिंदी भाषा में कुछ भी वैचारिक लिखने की कोशिश खतरनाक हो सकती है। देहात के विद्यार्थियों के लिए कुंजी लिखना ही इस भाषा का सर्वोत्तम उपयोग है।
Continue readingभौतिकवाद को हिंदी में विकसित और स्थापित करने का समर – गोपाल प्रधान
Post Views: 108 आजादी के आन्दोलन के दौरान गाँधी जी के साथ हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में विकसित करने का जिन लोगों ने सपना देखा और उसके लिए आजीवन
Continue readingउत्तर-दक्षिण भाषा-सेतु के वास्तुकार: मोटूरि सत्यनारायण – प्रो. अमरनाथ
Post Views: 129 यूपी बोर्ड की परीक्षा में आठ लाख विद्यार्थियों का हिन्दी में फेल होने का समाचार 2020 में सुर्खियों में था. कुछ दिन बाद जब यूपीपीएससी का रेजल्ट
Continue readingसरकारी सेवाओं से मातृभाषाओं की बिदाई – डॉ. अमरनाथ