सन् 1980 में उन्होंने ‘अम्बेडकर मेला’ नाम से पद यात्रा शुरू की। इसमें अम्बेडकर के जीवन और उनके विचारों को चित्रों और कहानी के माध्यम से दर्शाया गया। इसके पश्चात काँशीराम ने अपना प्रसार तंत्र और भी मजबूत किया और जाति-प्रथा के संबंध में अम्बेडकर के विचारों का लोगों के बीच सुनियोजित ढंग से प्रचार किया।