Posted in कविता दलित विमर्श देस हरियाणा बस्स! बहुत हो चुका-ओम प्रकाश वाल्मीकि Estimated read time 1 min read Posted on July 30, 2021August 1, 2021 by admin जब भी देखता हूँ मैं झाड़ू या गंदगी से भरी बाल्टी-कनस्तर किसी हाथ में मेरी रगों में दहकने लगते हैं…