बस्स! बहुत हो चुका-ओम प्रकाश वाल्मीकि

जब भी देखता हूँ मैं झाड़ू या गंदगी से भरी बाल्टी-कनस्तर किसी हाथ में मेरी रगों में दहकने लगते हैं…