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आम सभा में भाषण देते हुए 25 अगस्त 1991 को शंकर गुहा नियोगी ने कहा था,“ मेरे दो बेटे हैं. मेरा एक बेटा कारखाने में काम करने जाता है तो वे उसके समस्त अधिकारों को छीनकर अमानवीय शोषण करते हैं. जब वह उस शोषक के खिलाफ सीना तानकर खड़ा होता है, यूनियन बनाकर इंकलाब का नारा लगाता है, अपने हक की माँग करता है, तब वे मेरे दूसरे बेरोजगार बेटे के हाथ में चाकू थमा देते हैं और कहते हैं, ‘ जा, अपने भाई पर चाकू चलाकर आ जा.‘ इस प्रकार इंसानियत के दुश्मन ये लालची उद्योगपति मेरे दोनो बेटों का शोषण करते हैं.

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