बीते 11 अक्टूबर, 2020 को दिल्ली से सात लोगों का एक तथ्यान्वेषी दल उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के बूलगढ़ी गांव के लिए रवाना हुआ। इस दल में प्रो. हेमलता महिश्वर, डॉ.रजत रानी मीनू, डॉ. बजरंग बिहारी तिवारी,डॉ. सीमा माथुर, डॉ. पूनम तुषामड़, फारवर्ड प्रेस के हिंदी संपादक नवल किशोर कुमार व मीडियाकर्मी मनोज पिप्पल शामिल थे।
‘हम नहीं रोनी सूरत वाले’ : सावित्रीबाई फुले की कविताई – बजरंग बिहारी तिवारी
Post Views: 2,311 जीवन की गहरी समझ के साथ काव्य-रचना में प्रवृत्त होने वाली सावित्रीबाई फुले (1831-1897) अपने दो काव्य-संग्रहों के बल पर सृजन के इतिहास में अमर हैं. उनका…
दलित प्रेम का आशय – ‘प्रेमकथा एहि भांति बिचारहु’ – बजरंग बिहारी तिवारी
Post Views: 330 बजरंग बिहारी तिवारी प्रेम की सामर्थ्य देखनी हो तो संतों का स्मरण करना चाहिए। संतों में विशेषकर रविदास का। प्रेम की ऐसी बहुआयामी संकल्पना समय से बहुत…
हिंदी दलित साहित्य – 2018
Post Views: 823 बजरंग बिहारी तिवारी हिंदी दलित साहित्य : 2018 अन्य भारतीय भाषाओँ की तुलना में हिंदी दलित साहित्य इस मायने में भिन्न है कि यहाँ रचनाकारों की…
घर की सांकल – बजरंग बिहारी तिवारी
Post Views: 371 बजरंग बिहारी तिवारी (हरपाल के कविता संग्रह घर की सांकल की समीक्षा) कविता जीवन की सृजनात्मक पुनर्रचना है। इस सृजन में यथार्थ, कल्पना, आकांक्षा, आशंका और संघर्ष के…
दलित साहित्य: एक अन्तर्यात्रा – कमलानंद झा
Post Views: 394 पठनीय पुस्तक दलित साहित्य के लिए यह शुभ संकेत है कि अब हिंदी में भी लगातार आलोचनात्मक पुस्तकें प्रकाशित हो रहीं हैं। रचना के साथ-साथ आलोचना का…
साहित्य का स्व-भाव और राजसत्ता – बजरंग बिहारी तिवारी
Post Views: 736 भारतीय मानस धर्मप्राण है इसलिए भारतीय साहित्य अपने स्वभाव में अध्यात्मवादी, रहस्यवादी है; यह धारणा औपनिवेशिक दौर में बनी। राजनीति में साहित्य की दिलचस्पी आधुनिक काल में…