संस्कृति जड़ वस्तु नहीं होती और न यह स्थिर रहती है, बल्कि यह हमेशा परिवर्तनशील है। संस्कृतियों के मिलन से नए बदलाव होते हैं, जिससे किसी देश या समुदाय की संस्कृति में
संस्कृति जड़ वस्तु नहीं होती और न यह स्थिर रहती है, बल्कि यह हमेशा परिवर्तनशील है। संस्कृतियों के मिलन से नए बदलाव होते हैं, जिससे किसी देश या समुदाय की संस्कृति में
भाषाओं में श्रेष्ठता के दावे नहीं चलते, जिस भाषा जो अभिव्यक्ति करता है उसके लिए वही भाषा महान होती है। दूसरी भाषाओं की कद्र करके ही हम अपनी भाषा के लिए सम्मान पा सकते हैं। भाषाओं में ऐसी संकीर्णताएं नहीं होती, ऐसी कोई भाषा नहीं जिसने दूसरी भाषाओं से शब्द न लिए हों। एक जगह से शब्द दूसरी जगह तक यात्रा करते हैं। जिस भाषा में ग्रहणशीलता को ग्रहण लग जाता है वह भाषा जल्दी ही मृत भी हो जाती है। (लेख से)
मध्यकालीन संतों और भक्तों के जन्म-मृत्यु व पारिवारिक जीवन के बारे में आमतौर पर मत विभिन्नताएं हैं। संत रविदास की कृतियों में उनके रैदास, रोहीदास, रायदास, रुईदास आदि अनेक नाम
मीरा का जन्म सन् 1512 ई. में मेड़ता के राठौर वंश में रत्नसिंह के घर हुआ। मीरा के दादा दूदा के पांच पुत्र थे - वीरमदेव, रायसल, पंचायणा, रत्नसिंह तथा रायमल। दूदाजी ने मीरा के पिता रत्नसिंह को खर्च के लिए बारह गांव दिए हुए थे। कुड़की नामक गांव उनका केन्द्र था। कुड़की में पहाड़ी पर बसे छोटे-से दुर्ग में मीरा का जन्म हुआ। कुड़की मेड़ता से अठारह मील दूर है।