Tag: प्रेमचंद

एक शांत नास्तिक संत प्रेमचंद : जैनेंद्र कुमार

Post Views: 54 संस्मरण मुझे एक अफसोस है, वह अफसोस यह है कि मैं उन्हें पूरे अर्थों में शहीद क्यों नहीं कह पाता हूँ, मरते सभी हैं, यहां बचना किसको

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बड़े भाई साहब – प्रेमचंद

Post Views: 38 मेरे भाई साहब मुझसे पाँच साल बड़े थे, लेकिन केवल तीन दरजे आगे। उन्होंने भी उसी उम्र में पढ़ना शुरू किया था जब मैने शुरू किया था;

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प्रेमचंद ने पूछा था- “बिगाड़ के डर से क्या ईमान की बात न कहोगे ?”- डॉ. कृष्ण कुमार

डॉ. कृष्ण कुमार हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के पलवल गाँव के राजकीय महाविद्यालय में हिंदी-अध्यापन में कर्यरत हैं। विशेष रूचि आलोचना में है। अपने इर्द गिर्द की साहित्यिक गतिविधियों में निरन्तर सक्रीय रहते हैं। … Continue readingप्रेमचंद ने पूछा था- “बिगाड़ के डर से क्या ईमान की बात न कहोगे ?”- डॉ. कृष्ण कुमार

साम्प्रदायिकता और संस्कृति- प्रेमचंद

जनता को आज संस्कृतियों की रक्षा करने का न अवकाश है, न ज़रूरत। ‘संस्कृति’ अमीरों का, पेटभरों का, बेफ़िक्रों का व्यसन है। दरिद्रों के लिए प्राण-रक्षा ही सबसे बड़ी समस्या है। उस संस्कृति में था ही क्या, जिसकी वे रक्षा करें। जब जनता मूर्छित थी तब उस पर धर्म और संस्कृति का मोह छाया हुआ था। ज्यों-ज्यों उसकी चेतना जागृत होती जाती है, वह देखने लगी है कि यह संस्कृति केवल लुटेरों की संस्कृति थी, जो राजा बनकर, विद्वान बनकर, जगत सेठ बनकर जनता को लूटती थी। (लेख से ) … Continue readingसाम्प्रदायिकता और संस्कृति- प्रेमचंद

प्रेमचंद : हिन्दी के जातीय स्वरूप के सच्चे पारखी – अमरनाथ

Post Views: 52 जन्मदिन पर विशेष  प्रेमचंद का भाषा- चिन्तन जितना तार्किक और पुष्ट है उतना किसी भी भारतीय लेखक का नहीं है. ‘साहित्य का उद्देश्य’ नाम की उनकी पुस्तक

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ईदगाह- प्रेमचन्द

‘ईदगाह’ प्रेमचन्द की अत्यंत प्रचलित कहानी है. इसका प्रकाशन सन्1933 में चाँद पत्रिका में हुआ. इस कहानी का नायक एक गरीब-अनाथ बच्चा हामिद है जो गरीबी और अभावों के कारण अपनी मासूमियत खोकर बचपन में ही बड़ों की तरह व्यवहार करने लगता है. यह कहानी प्रेमचन्द की बाल मनोविज्ञान की बेहतरीन समझ का नमूना है. … Continue readingईदगाह- प्रेमचन्द

दुखी जीवन – प्रेमचंद

Post Views: 79 हिंदू दर्शन दु:खवाद है, बौद्ध दर्शन दु:खवाद है और ईसाई दर्शन भी दु:खवाद है! मनुष्य सुख की खोज में आदिकाल से रहा है और इसी की प्राप्ति

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गुल्‍ली-डंडा – प्रेमचंद

Post Views: 21 हमारे अँग्रेजी दोस्त मानें या न मानें मैं तो यही कहूँगा कि गुल्ली-डंडा सब खेलों का राजा है। अब भी कभी लड़कों को गुल्ली-डंडा खेलते देखता हूँ,

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ईदगाह – प्रेमचंद

Post Views: 13 रमजान के पूरे तीस रोजों के बाद ईद आयी है। कितना मनोहर, कितना सुहावना प्रभाव है। वृक्षों पर अजीब हरियाली है, खेतों में कुछ अजीब रौनक है,

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दो बैलों की कथा – प्रेमचंद

Post Views: 42 जानवरों में गधा सबसे ज्यादा बुद्धिमान समझा जाता है। हम जब किसी आदमी को पहले दर्जे का बेवकूफ कहना चाहते हैं, तो उसे गधा कहते हैं। गधा

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