ग़ज़ल कौन कहता है कि तुझको हर खुशी मिल जाएगी, हां मगर इस राह में मंजि़ल नई मिल जाएगी। अपनी…
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जिनकी नज़रों में थे रास्ते और भी- बलबीर सिंह राठी
ग़ज़ल जिनकी नज़रों में थे रास्ते और भी, जाने क्यों वो भटकते गये और भी। मैं ही वाक़िफ़ था राहों…
कैसी लाचारी का आलम है यहाँ चारों तरफ़ – बलबीर सिंह राठी
ग़ज़ल कैसी लाचारी का आलम है यहाँ चारों तरफ़, फैलता जाता है ज़हरीला धुआं चारों तरफ़। जिन पहाड़ों को बना…
जो भी लड़ता रहा हर किसी के लिये – बलबीर सिंह राठी
ग़ज़ल जो भी लड़ता रहा हर किसी के लिये, कुछ न कुछ कर गया आदमी के लिये। जो अंधेरे मिटाने…