Posted in देस हरियाणा रागनी देखे मर्द नकारे हों सैं गरज-गरज के प्यारे हों सैं – पं. लख्मीचंद Estimated read time 1 min read Posted on July 17, 2019June 23, 2021 by पं.लख्मी चंद बात सही है कि लोक कवि लोक बुद्धिमता, प्रवृतियों और बौद्धिक-नैतिक रुझानों का अतिक्रमण नहीं कर पाते। लेकिन लोक प्रचलित…