भजन-पूजन साधना-आराधना सब-कुछ पड़ा रहे, अरे, देवालय का द्वार बन्द किए क्यों पड़ा है!अँधेरे में छिपकर अपने-आपचुपचाप तू किसे पूजता हैं? आँख खोलकर ध्यान से देख तो सही – देवता घर
भजन-पूजन साधना-आराधना सब-कुछ पड़ा रहे, अरे, देवालय का द्वार बन्द किए क्यों पड़ा है!अँधेरे में छिपकर अपने-आपचुपचाप तू किसे पूजता हैं? आँख खोलकर ध्यान से देख तो सही – देवता घर