लखमी चंद जब भी कोई धुन रचते और उस्ताद धुलिया खान से सारंगी के मधुर वादन पर उस धुन को सुनते तो झूम उठते और तब एक ही बात उनकी जुबान से निकला करती - उस्ताद। कमाल कर दिया।
लखमी चंद जब भी कोई धुन रचते और उस्ताद धुलिया खान से सारंगी के मधुर वादन पर उस धुन को सुनते तो झूम उठते और तब एक ही बात उनकी जुबान से निकला करती - उस्ताद। कमाल कर दिया।