भारतेन्दु और भारत की उन्नति – डॉ. नामवर सिंह

सम्मान का भाव रामविलास जी के प्रति हममें से प्रत्येक के मन में है, पर कहीं-न-कहीं उनकी व्याख्या के प्रति…

मानस’ की धर्म-भूमि – आचार्य रामचन्द्र शुक्ल

धर्म की रसात्मक अनुभूति का नाम भक्ति है, यह हम कहीं पर कह चुके हैं। धर्म है ब्रह्म के सत्स्वरूप…

साम्प्रदायिकता और संस्कृति- प्रेमचंद

जनता को आज संस्कृतियों की रक्षा करने का न अवकाश है, न ज़रूरत। ‘संस्कृति’ अमीरों का, पेटभरों का, बेफ़िक्रों का…

भारतीय भाषाओं में छंद विधान- रामविलास शर्मा

हिंदी काव्य की नींव अवश्य गहरी और दृढ़ है, पर उसके ऊपर विद्यापति, जायसी, कबीर, सूर और तुलसी ने जो…