कविता पके अनाज की मंद-मंद गंध, और पक्षियों का शोर शादी के मंडप सा माहौल। फसल का असल रंग उसे वो बता रहेे हैं, जिन्होंने नही पकड़ी कभी हाथ दरांती
कविता पके अनाज की मंद-मंद गंध, और पक्षियों का शोर शादी के मंडप सा माहौल। फसल का असल रंग उसे वो बता रहेे हैं, जिन्होंने नही पकड़ी कभी हाथ दरांती
कविता एक लड़की मैनें खिड़की से बाहर झांककर देखा। लड़की निवृत हो रही थी। सैंकडों आंखें जम गई उस पर, पर वो बैठी रही। कोई चिल्ला के कुछ कह रहा