देश विभाजन के बाद 1948 में कम्युनिस्ट पार्टी के प्रति पाकिस्तान सरकार के सख्त रवैये के कारण वहाँ की कम्युनिस्ट पार्टी ने भूमिगत होकर कार्य करने का निर्णय लिया। इला मित्र सहित सभी नेताओं को भूमिगत हो जाने को कहा गया। इला मित्र उन दिनों गर्भवती थीं। वे छिपकर बार्डर पार करके कलकत्ता आ गईं और यहाँ अपने बेटे मोहन को जन्म दिया। इसके बाद उन्होंने अपने बेटे को अपनी सास के पास रामचंद्रपुर में छोड़ा और तीन-चार सप्ताह बाद फिर से अपने पति के साथ नचोल किसान आन्दोलन में शामिल हो गईं।