साखी – मन मतंग माने नहीं, जब लग गथा3 न खाय। जैसे विधवा इस्त्राी, गरभ रहे पछताय।।टेक मन तुम नाहक दूंद मचाये। चरण – करि असनान, छूवो नहिं काहू, पाती
साखी – मन मतंग माने नहीं, जब लग गथा3 न खाय। जैसे विधवा इस्त्राी, गरभ रहे पछताय।।टेक मन तुम नाहक दूंद मचाये। चरण – करि असनान, छूवो नहिं काहू, पाती