एक बार तो उन्हें जॉकिन के काम के लिए अपनी साड़ी भी बेचनी पड़ी थी। जॉकिन ने स्वयं अपना टाइपराइटर उन्हीं दिनों गिरवी रखा था। इसके बावजूद वे कभी किसी के सामने झुके नहीं और न लालच में पड़े। सुविधा उपलब्ध होने के बावजूद वे स्लम में ही रहे।
एक बार तो उन्हें जॉकिन के काम के लिए अपनी साड़ी भी बेचनी पड़ी थी। जॉकिन ने स्वयं अपना टाइपराइटर उन्हीं दिनों गिरवी रखा था। इसके बावजूद वे कभी किसी के सामने झुके नहीं और न लालच में पड़े। सुविधा उपलब्ध होने के बावजूद वे स्लम में ही रहे।