सामान्य पाठक के तौर पर जब मुझे पुस्तकें पढ़ने का शौक हुआ तो मुझे अलग- अलग तरह की बैचेनी पैदा हुई जिन्होंने मेरे दिमाग में उथल- पुथल मचा दी। हालांकि
सामान्य पाठक के तौर पर जब मुझे पुस्तकें पढ़ने का शौक हुआ तो मुझे अलग- अलग तरह की बैचेनी पैदा हुई जिन्होंने मेरे दिमाग में उथल- पुथल मचा दी। हालांकि
आदिवासियों के बीच काम करते हुए देखकर कुछ लोगों ने ज्याँ द्रेज का संबंध नक्सलियों से भी जोड़ने की कोशिश की। वे नक्सलियों से किसी भी तरह के संबध से इनकार करते हैं। उनका मानना है कि नक्सलियों का आन्दोलन पिछले पचास वर्ष से भी अधिक दिनों से चल रहा है किन्तु इसका परिणाम क्या निकला ? हत्याएं, विनाश और तबाही।