चिन्ता करता हूँ मैं जितनी उस अतीत की, उस सुख की: उतनी ही अनन्त में बनती, जातीं रेखाएँ दुख की। आह सर्ग के अग्रदूत! तुम असफल हुए, विलीन हुए; भक्षक
चिन्ता करता हूँ मैं जितनी उस अतीत की, उस सुख की: उतनी ही अनन्त में बनती, जातीं रेखाएँ दुख की। आह सर्ग के अग्रदूत! तुम असफल हुए, विलीन हुए; भक्षक