सुरेंद्र पाल सिंह हरियाणा में जाति आधारित शोषण-उत्पीड़न अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय रहा। सामाजिक स्तर पर बहुत जघन्य कांड हरियाणा के समाज ने देखे। शासकीय मशीनरी में भी
सुरेंद्र पाल सिंह हरियाणा में जाति आधारित शोषण-उत्पीड़न अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय रहा। सामाजिक स्तर पर बहुत जघन्य कांड हरियाणा के समाज ने देखे। शासकीय मशीनरी में भी
ग़ज़ल ऐसे अपनी दुआ क़ुबूल हुई,राह तक मिल सकी न मंजि़ल की,कारवाँ से बिछडऩे वालों को,उन की मंजि़ल कभी नहीं मिलती।खो गई नफ़रतों के सहरा1 में,प्यार की वो नदी जो
ग़ज़ल ये अलग बात बच गई कश्ती,वरना साजि़श भंवर ने ख़ूब रची। कह गई कुछ वो बोलती आँखें,चौंक उट्ठी किसी की ख़ामोशी। हम तो लड़ते रहे दरिन्दों से,तुम ने उन
ग़ज़ल पहले कोई ज़ुबाँ तलाश करूँ,फिर नई शोखियाँ1 तलाश करूँ।अपने ख्वाबों की वुसअतों2 के लिए,मैं नये आसमां तलाश करूँ।मंजि़लों की तलाश में निकलूँ,मुस्तकिल3 इम्तिहाँ तलाश करूँ।मेरी आवारगी ये माँग करे,मैं
ग़ज़ल कौन बस्ती में मोजिज़ा गर है, हौंसला किस में मुझ से बढ़ कर है। चैन से बैठने नहीं देता, मुझ में बिफरा हुआ समन्दर है। लुट रहे हैं
ग़ज़ल कौन कहता है कि तुझको हर खुशी मिल जाएगी, हां मगर इस राह में मंजि़ल नई मिल जाएगी। अपनी राहों में अंधेरा तो यक़ीनन है मगर, हम युँही चलते