Post Views: 46 कविता मैं लिखता हूँ कविताएँ चाँद पर,इसलिए नहीं कि चाँद अब तक के कवियों काप्रिय विषय है, और मैंउनका अनुसरणकर्ता हूँ। बल्कि इसलिए किचाँद पहुँचता है आज भीपोषक…
भारतमाता – सुमित्रानंदन पंत
Post Views: 16 कविता भारत माताग्रामवासिनी।खेतों में फैला है श्यामलधूल भरा मैला सा आँचल,गंगा यमुना में आँसू जल,मिट्टी कि प्रतिमाउदासिनी। दैन्य जड़ित अपलक नत चितवन,अधरों में चिर नीरव रोदन,युग युग…
क्यूं मेरा गुंट्ठा मांगै सै – कर्मचंद केसर
Post Views: 88 मैं सूं गरीब भील का बेटा, कर लिए कुछ ख्याल मेरा,क्यूं मेरा गुंट्ठा मांगै सै मनै, के करया नुकस्यान तेरा। धनुष विद्या की चाहना थी, मन मैं…
काँशीराम : दलित आक्रोश का रचनात्मक उपयोग
सन् 1980 में उन्होंने ‘अम्बेडकर मेला’ नाम से पद यात्रा शुरू की। इसमें अम्बेडकर के जीवन और उनके विचारों को चित्रों और कहानी के माध्यम से दर्शाया गया। इसके पश्चात काँशीराम ने अपना प्रसार तंत्र और भी मजबूत किया और जाति-प्रथा के संबंध में अम्बेडकर के विचारों का लोगों के बीच सुनियोजित ढंग से प्रचार किया।
क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले कविता : दीपिका शर्मा
Post Views: 90 क्रान्तिज्योति नाम सावित्री,उसने मन में ठानी थी,तलवार कलम को बना करकेक्रांति सामाजिक लानी थी। शिक्षा का प्रचार करकेसबको नई राह दिखानी थी,सब के ताने सुन-सुन केप्रथम शिक्षिका…
जय्ब हरियाणा इस देस की सोच्चै -राजेन्द्र रेढू
Post Views: 13 मनै ला लिया जोर भतेरा रै पर पाट्या कोन्या बेरा रै। किसनै ला दी आग जड़ाँ मैं? क्यूँ धुम्मा-धार अँधेरा रै? कोए स्याणा, मनै खोल बतावै, क्यूँ…
साइकिल
Post Views: 8 दो पहियों की गाड़ी प्यारी, साइकिल की अद्भुत सवारी । जाओ चाहे खेत-बाजार, साइकिल सफर में कभी न हारी । भारी-भरकम वजन उठाती, कच्ची-पक्की डगर पे…
होली आई
Post Views: 9 आसमान में लाली छाई, रंग – बिरंगी होली आई । बच्चों में उत्साह जगा न्यारा, आया – आया त्यौहार प्यारा । चुन्नू – मुन्नू रंग घोल रहे,…
कुछ कविताएँ- असंघोष
मध्यप्रदेश के क़स्बा जावत में 1962 में जन्मे असंघोष नई पीढ़ी की दलित कविता के सशक्त हस्ताक्षर हैं. खामोश नहीं हूँ मैं,
हम गवाही देंगे, मैं दूँगा माकूल जवाब, समय को इतिहास लिखने दो, हम ही हटाएँगे कोहरा, ईश्वर की मौत आदि सभी काव्य संग्रह सन् 2000 के बाद प्रकाशित हुए हैं. दुसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि असंघोष इस सदी के दलित चेतना के निरंतर सक्रिय कवियों में अग्रणी हैं.
कुछ कविताएँ- विनोद कुमार शुक्ल
विनोद कुमार शुक्ल के बारे में कहा जाता है कि वे सूक्ष्म काव्य्भिव्य्क्ति के कवि हैं. अमूमन उनकी कविताओं की पहली पंक्तियाँ ही उनकी कविताओं के शीर्षक भी होती हैं इसलिए पाठक को काव्य प्रवेश की अधिक सुविधा उपलब्ध होती है. वे अपनी कविताओं में शब्दों के हेर फेर से गहनतम अर्थ के निर्माण पर जोर देते हैं इस प्रक्रिया में कुछ शब्द का दोहराव अपेक्षित ही है. प्रस्तुत हैं विनोद कुमार शुक्ल की कुछ कविताएँ.