साखी – कटू बचन कबीर के, सुनत आग लग जाय। शीलवंत1 तो मगन भया, अज्ञानी जल जाय।।टेक अवधू दोनों दीन कसाई। चरण – हिन्दू बकरा मिण्डा मारे, मुसलमान मुर्गाई। कांच
साखी – कटू बचन कबीर के, सुनत आग लग जाय। शीलवंत1 तो मगन भया, अज्ञानी जल जाय।।टेक अवधू दोनों दीन कसाई। चरण – हिन्दू बकरा मिण्डा मारे, मुसलमान मुर्गाई। कांच
साखी – एकै त्वचा हाड़ मूल मूत्रा, एक रुधिर एक गूदा। एक बूंद से सृष्टि रची है, को ब्राह्मण को शुद्रा।।टेक साधौ, पांडे निपुन कसाई। चरण – बकरी मारि भेड़ी
आलेख कबीर दास मध्यकालीन भारत के प्रसिद्घ संत हैं, जिन्होंने अपनी रचनाओं में हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रयास किया तथा ब्राह्मणवादी धार्मिक आडम्बरों की आलोचना की। इनकी प्रसिद्घ रचनाएं ‘बीजक’ में
सुखिया सब संसार है, खावै और सोवैदुखिया दास कबीर है जागै और रोवै कबीर ने झूठ के घटाटोप को भेदकर सच्चाई को पा लिया था, इसलिए उनको ‘रोना’ इस बात