अवधू दोनों दीन कसाई – कबीर

साखी – कटू बचन कबीर के, सुनत आग लग जाय। शीलवंत1 तो मगन भया, अज्ञानी जल जाय।।टेक अवधू दोनों दीन…

साधौ पांडे निपुन  कसाई – कबीर

साखी – एकै त्वचा हाड़ मूल मूत्रा, एक रुधिर एक गूदा। एक बूंद से सृष्टि रची है, को ब्राह्मण को…

सांचि कहौं तो मारन धावै – डा. सुभाष चंद्र

आलेख कबीर दास मध्यकालीन भारत के प्रसिद्घ संत हैं, जिन्होंने अपनी रचनाओं में हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रयास किया तथा ब्राह्मणवादी…

देख कबिरा रोया…डा. सुभाष चंद्र

सुखिया सब संसार है, खावै और सोवैदुखिया दास कबीर है जागै और रोवै कबीर ने झूठ के घटाटोप को भेदकर…