कपिल भारद्वाज इधर कविता के क्षेत्र में पिछले लगभग एक दशक से सक्रिय हैं। उनके दो काव्य संग्रह प्रकाशित हैं। हाल फिलहाल उनकी दिलचस्पी समीक्षा में बढ़ी है, जिसका परिणाम है हमारे पास उनका यह दूसरा समीक्षात्मक आलेख। कपिल ने वरिष्ठ साहित्यकार हरभगवान चावला की कहानियों का पाठ किया है। कहानियों पर केन्द्रित बातचीत हमारे सामने से लगभग गायब हो रही है, ऐसे में यह आलेख एक संवाद स्थापित करेगा ऐसी सम्भावना है-