उदयभानु हंस ने मिथकीय पात्रों को मौजूदा समय की विसंगतियों और नैतिक पतन से जोड़कर यथार्थ रचना की है। डॉ रामजी तिवारी मिथकों के विषय में कहते हैं कि “मिथक जनमानस में पहले से बैठे रहते हैं, उनका आधार लेने से रचना की संप्रेषणीयता ज्यादा हो जाती है।“ इस हेतु ग़ज़लकार ने मिथकों का प्रयोग अपनी रचनाओं में किया है। (लेख से )
मानवीय मूल्यों के रक्षक भी थे कुछ लोग – उदयभानु हंस
Post Views: 384 मेरा जन्म 2 अगस्त 1926 को पश्चिमोत्तर पंजाब की मुलतान-मियांवाली रेलवे लाईन पर 60-70 मील दूर जिला मुजफ्फरगढ़ के एक कस्बे में हुआ। देश-विभाजन के समय जब…
उदयभानु हंस की साहित्यिक उड़ान’ का लोकार्पण – आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट
Post Views: 265 गतिविधियां उदयभानु हंस की साहित्यिक उड़ान’ का लोकार्पण भिवानी के साहित्यकार आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट द्वारा हरियाणा के प्रथम राज्यकवि एवं हरियाणा स्वर्ण जयन्ती (वर्ष 2016) पर हरियाणा…