जवरीमल्ल पारख इंदिरागांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के मानविकी संकाय के निदेशक पद से अवकाश ग्रहण करने के बाद मीडिया के पूर्णकालिक समीक्षक के रूप में सक्रिय हैं और उनसे अभी बहुत मूल्यवान प्राप्त होने की उम्मीद है. हम प्रो. जवरीमल्ल पारख को उनके जन्मदिन के अवसर पर हिन्दी मीडिया, सिनेमा और साहित्य की समीक्षा के क्षेत्र में किए गए व्यापक अवदान का स्मरण करते हैं, उन्हें जन्मदिन की बधाई देते हैं और उनके सुस्वास्थ्य और सतत सक्रियता की कामना करते हैं.
हरित क्रान्ति के जनक प्रो. एम.एस.स्वामीनाथन – अमर नाथ
आजादी के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा था, “बाकी सभी चीजों के लिए इंतजार किया जा सकता है, लेकिन कृषि के लिए नहीं।” उस समय हमारे देश की आबादी 30 करोड़ से कुछ अधिक थी। सन 1947 में किसी शादी-ब्याह में 30 से ज्यादा लोगों को नहीं खिलाया जा सकता था, जबकि आज तो जितना पैसा हो, उतने लोगों को दावत दी जा सकती है। आज सरकारी गोदामों में वर्षों के लिए सुरक्षित गेहूं और चावल का भंडार मौजूद है। इस गुणात्मक परिवर्तन के सूत्रधार हैं हरित क्रान्ति के जनक प्रो. एम.एस.स्वामीनाथन।
पहाड़ के पितामह चंडीप्रसाद भट्ट – अमर नाथ
नदियाँ हिन्दुस्तान की धमनियाँ हैं। इनमें जल रूपी रक्त का संचार पहाड़ों से होता है। इन धमनियों की अविरलता बनाए रखने के लिए पहाडों और उनके जंगलों को बचाए रखना अनिवार्य है। चंडीप्रसाद भट्ट ने पर्यावरण के संबंध में अपना ज्ञान अपने अनुभव से अर्जित किया। वे पहाड़ पर जन्मे, पहाड़ पर पले -बढे और उन्होंने पहाड़ को कर्मस्थली बनाकर उसे जिया।
मार्क्सवादी आलोचक शिवकुमार मिश्र – अमर नाथ
“हिंदी के आलोचक” शृंखला में कलकत्ता विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर और हिन्दी विभागाध्यक्ष डा. अमरनाथ ने 50 से अधिक हिंदी-आलोचकों के अवदान को रेखांकित करते हुए उनकी आलोचना दृष्टि के विशिष्ट बिंदुओं को उद्घाटित किया है। इन आलोचकों पर यह अद्भुत सामग्री यहां प्रस्तुत है। इस शृंखला को आप यहां पढ़ सकते हैं।
गाँधीवादी आलोचक विश्वनाथप्रसाद तिवारी – अमर नाथ
“ महान साहित्य घृणा नहीं, करुणा पैदा करता है. घृणित चरित्र के प्रति भी एक गहरी करुणा. यदि साहित्य घृणा, हिंसा और असहिष्णुता पैदा करने लगे तो दुनिया बदरंग हो जाएगी. रचना हृदय परिवर्तन की एक अहिंसक प्रक्रिया है. वह हिंसा का विकल्प नहीं है.”
जॉन गिलक्रिस्ट : हिन्दुस्तान की जातीय भाषा के अन्वेषक – अमर नाथ
जॉन बोर्थविक गिलक्रिस्ट ( जन्म- 19.6.1759 ) ऐसे पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने हिन्दुस्तान की जातीय भाषा की सबसे पहले पहचान की, उसके महत्व को रेखांकित किया, भारत में उसके अध्ययन की नींव रखी, उसका व्याकरण बनाया और इंग्लिश- हिन्दुस्तानी डिक्शनरी बनाकर अध्ययन करने वालों के लिए रास्ता आसान कर दिया. एडिनबरा में जन्म लेने वाले जॉन गिलक्रिस्ट वास्तव में एक डॉक्टर थे और ईस्ट इंडिया कम्पनी में सर्जन बनकर 1783 ई. में भारत आए.