हालाँकि साबिर अली साबिर पकिस्तान के रहने वाले हैं, लेकिन साबिर की लोकप्रियता अब किसी देश की काल्पनिक सीमाओं की मोहताज नहीं रही। व्यापक मानवीय सरोकारों के चलते उनकी कविताएँ
हालाँकि साबिर अली साबिर पकिस्तान के रहने वाले हैं, लेकिन साबिर की लोकप्रियता अब किसी देश की काल्पनिक सीमाओं की मोहताज नहीं रही। व्यापक मानवीय सरोकारों के चलते उनकी कविताएँ
कवि लाल सिंह दिल पंजाब के प्रगतिशील साहित्य के आन्दोलन के एक बड़े कवि माने जाते हैं। उनका जन्म पंजाब के रामदासिया (चमार) समुदाय के एक गरीब परिवार में हुआ
लेखकः गुलजार सिंह संधुहिंदी अनुवादकः गुरबख्श मोंगा और वंदना सुखीजाप्रकाशकः गार्गीपृष्ठः 134मूल्यः रू. 120 यह बेहद उत्सुकता की बात हो सकती है कि कोई तानाशाह किस प्रकार अपनी विचारधारा से
(इस पर आइंस्टीन के अलावा अन्य कई गणमान्य व्यक्तियों के हस्ताक्षर थे। यह पत्र 2 दिसंबर 1948 को लिखा गया और 4 दिसंबर 1948 को प्रकाशित हुआ)
रीढ़ “सर मुझे पहचाना क्या?” बारिश में कोई आ गया कपड़े थे मुचड़े हुए और बाल सब भीगे हुए पल को बैठा, फिर हँसा और बोला ऊपर देखकर “गंगा मैया
पांच मिनट बीत गए पर कैदी ने कोई हरकत नहीं की। पंद्रह वर्ष के कारावास से उसे स्थिर बैठने का अभ्यास हो गया था। बैंकर ने अपनी उंगली से खिड़की पर दस्तक दी। जवाब में कैदी ने कोई हरकत नहीं की। फिर बैकर ने सावधानी से दरवाजे की सील तोड़ दी और ताले में चाबी घुमाई। जंग लगे ताले से एक कर्कश सी गुर्राने जैसी आवाज निकली। दरवाजा चरमरा उठा....(कहानी से)