अंध विश्वास – प्रेमचंद
Post Views: 51 हिन्दू-समाज में पुजने के लिए केवल लंगोट बांध लेने और देह में राख मल लेने की जरूरत है; अगर गांजा और चरस उड़ाने का अभ्यास भी हो
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Post Views: 15 बौद्धकालीन भारतीय विश्वविद्यालयों के स्वरूप, शिक्षा व्यवस्था, पाठ्यक्रम व उसकी उपयोगिता पर आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का ज्ञानवर्धक आलेख.
Post Views: 78 आज बड़े आनंद का दिन है कि छोटे से नगर बलिया में हम इतने मनुष्यों को एक बड़े उत्साह से एक स्थान पर देखते हैं। इस अभागे
Continue readingभारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है – भारतेंदु हरिश्चंद्र
Post Views: 35 [11-12 अप्रैल 81 को नागरी प्रचारिणी सभा, आरा में आयोजित प्रेमचंद-जन्म शताब्दी समारोह के लिये प्रेषित हिन्दी को सुप्रसिद्ध कवयित्री श्रीमती महादेवी वर्मा का उद्घाटन भाषण] समागत
Continue readingप्रेमचंद निरंतर प्रासंगिक रहेंगे – महादेवी वर्मा
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Post Views: 36 अगर उत्तर भारत को समस्त जनता के आचार-विचार, भाव-भाषा, रहन-सहन, आशा-आकांक्षा, दुःख-सुख और सूझ-बूझ को जानना चाहते हैं तो में आपको निःसंशय बता सकता हूँ कि प्रेमचन्द
Continue readingप्रेमचंद का महत्व – आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
Post Views: 171 डॉ० हजारीप्रसाद द्विवेदी आधुनिक हिन्दी साहित्य के गंभीर अन्वेषक और मौलिक चिंतक हैं। आपकी रचनाओं में पांडित्य और सरसता का सुन्दर सामंजस्य पाया जाता है। बाणभट्ट की
Continue readingप्रेमचन्द का महत्व – आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी
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Post Views: 42 निंदा कुछ लोगों की पूंजी होती है। बड़ा लंबा-चौड़ा व्यापार फैलाते हैं वे इस पूंजी से। कई लोगों की ‘रिस्पेक्टेबिलिटी’ (प्रतिष्ठा) ही दूसरों की कलंक-कथाओं के पारायण
Post Views: 16 हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक थे। उन्होंने सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पूस