जवरीमल्ल पारख इंदिरागांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के मानविकी संकाय के निदेशक पद से अवकाश ग्रहण करने के बाद मीडिया के पूर्णकालिक समीक्षक के रूप में सक्रिय हैं और उनसे अभी बहुत मूल्यवान प्राप्त होने की उम्मीद है. हम प्रो. जवरीमल्ल पारख को उनके जन्मदिन के अवसर पर हिन्दी मीडिया, सिनेमा और साहित्य की समीक्षा के क्षेत्र में किए गए व्यापक अवदान का स्मरण करते हैं, उन्हें जन्मदिन की बधाई देते हैं और उनके सुस्वास्थ्य और सतत सक्रियता की कामना करते हैं.
जीवन के विविध रंगों जीवन-दृष्टि देता रंगमंच – अरुण कुमार कैहरबा
थियेटर या रंगमंच जीवन के विविध रंगों को मंच पर प्रस्तुत करने की जीवंत विधा है। रंगमंच सही गलत के भेद को बारीकी से चित्रित करता है। रंगमंच सवाल खड़े करता है। रंगमंच समाज का आईना ही नहीं है, बल्कि परिवर्तन का सशक्त औजार भी है।
हरियाणवी फिल्मों की विकास यात्रा – रोशन वर्मा
Post Views: 431 https://www.youtube.com/watch?v=SYPgE7T8vlI&t=2s
ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन
Post Views: 184 विकास साल्याण (देस हरियाणा फ़िल्म सोसाइटी के तत्वावधान में डा. ओमप्रकाश ग्रेवाल अध्ययन संस्थान, कुरुक्षेत्र में 2 सितंबर 2018 को पर्यावरण संकट पर केन्द्रित फ़िल्म ‘कार्बन’ की…
अलीगढ़ : समलैंगिकता पर विमर्श -विकास साल्याण
Post Views: 492 समलैंगिकता को अलग-अलग दृष्टि से देखा जाता है कुछ समलैंगिकता को मानसिक बीमारी मानते हैं। कुछ इसे परिस्थितियों के कारण उत्पन्न आदत मानते हैं तो कुछ एक…
स्वच्छ हवा और पानी एक बिजनेस बन गया है
Post Views: 158 गतिविधि ‘देस हरियाणा फिल्म सोसाइटी’ के माध्यम से हर महीने ही सामाजिक सरोकारों से जुड़ी फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा और उस पर गंभीर चर्चा होगी जिससे…
कुछ मुंबइया फिल्में और हरियाणवी जनजीवन का यथार्थ – सहीराम
Post Views: 388 सिनेमा अभी तक यही माना जाता रहा है कि हरियाणवी जन जीवन खेती किसानी का बड़ा ही सादा और…
दायरा’ संकीर्ण सामाजिक दायरों पर प्रहार -विकास साल्याण
Post Views: 355 सिनेमा-चर्चा रोहतक के फि़ल्म एवम् टेलीविजन संस्थान के छात्रों द्वारा बनाई गई ‘दायरा’ फि़ल्म हरियाणवी सिनेमा को नई दिशा की ओर ले जा रही है। इस फिल्म…
पचास साल का सफर हरियाणवी सिनेमा -सत्यवीर नाहडिया
Post Views: 1,714 सिनेमा हरियाणा प्रदेश के स्वर्ण जयंती वर्ष के पड़ाव पर यदि हरियाणवी सिनेमा की स्थिति का सूक्ष्म अध्ययन करें तो निराशा ही हाथ लगती है। सन् 1984…
पहाड़ में कायांतरित होता आदमी -कमलानंद झा
Post Views: 1,001 सिनेमा पहाड़ पुरुष दशरथ मांझी के व्यक्तित्व ने एक बार फिर यह सिद्ध किया है कि ज्ञान, बुद्धिमत्ता और गहन संवेदनशीलता सिर्फ औपचरिक शिक्षा की मोहताज…