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हरियाणा का पचासवां साल, पूछै कई सवाल- डा. सुभाष चंद्र

Post Views: 523 हरियाणा राज्य का पचासवां साल हैं। हरियाणा की बहुत सी उपलब्धियां हैं और विभिन्न क्षेत्रों में कई कीर्तिमान भी स्थापित किए हैं। यह साल हरियाणा के लिए…

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देख कबिरा रोया…डा. सुभाष चंद्र

Post Views: 261 सुखिया सब संसार है, खावै और सोवैदुखिया दास कबीर है जागै और रोवै कबीर ने झूठ के घटाटोप को भेदकर सच्चाई को पा लिया था, इसलिए उनको…

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वास्तविक रचनाकार दूर खड़ा तमाशा नहीं देख रहा

कभी दरों से कभी खिड़कियों से बोलेंगे
सड़क पे रोकोगे तो हम घरों से बोलेंगे
कटी  ज़बाँ  तो   इशारे  करेंगे  आँखों  से
जो सर कटे तो हम अपनी धड़ों से बोलेंगे
भारतीय समाज की विडंबना ही है कि अत्यधिक तकनीकी युग में भी शासन-सत्ताओं के लिए जन-आक्रोश की दिशा भ्रमित करने के लिए साम्प्रदायिकता तुरप का पत्ता साबित हो रहा है। शासन-सत्ताएं साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करने का हर हथकण्डा अपना रही हैं। गुड़गांव में नमाज अता करते लोगों पर हमला करना, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में 80 साल से दीवार पर टंगे मोहम्मद अली जिन्ना के चित्र पर बवाल काटना साम्प्रदायिक विभाजन की परियोजना के अंग ही तो हैं। सामूहिक चेतना का साम्प्रदायिकरण भारतीय समाज के बहुलतावादी ढांचे, सामाजिक शांति, साम्प्रदायिक भाईचारे और आपसी विश्वास को बरबाद कर देगा। सांस्कृतिक-धार्मिक बहुलता व विविधता भारतीय समाज का गहना है।