Post Views: 25 क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि एक अच्छा खासा दफ़्तर, जिस में दर्जनों कर्मचारी और कमरे हों, लाखों की सम्पत्ति हो परन्तु उस में कोई सफ़ाई…
हरियाणा में उच्च शिक्षा का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, वर्तमान दृश्य तथा चुनौतियाँ – सुरेंद्र कुमार
इस लेख में वर्तमान हरियाणा की उच्च-शिक्षा से सम्बद्ध ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और वर्तमान व्यवस्था पर एक नज़र डालते हुए उस की विवेचना का गम्भीर प्रयास किया गया है।
विद्यार्थी और राजनीति – भगत सिंह
Post Views: 35 इस बात का बड़ा भारी शोर सुना जा रहा है कि पढ़ने वाले नौजवान(विद्यार्थी) राजनीतिक या पोलिटिकल कामों में हिस्सा न लें। पंजाब सरकार की राय बिल्कुल…
ऐसी हो पत्रकारिता और मीडिया की शिक्षा – अनिल कुमार पाण्डेय
Post Views: 47 देश में पत्रकारिता शिक्षा के औपचारिक श्रीगणेश के बाद इसमें कई आमूल-चूल परिवर्तन देखने को मिले हैं। कभी महज पत्रकारिता की शिक्षा देने वाले संस्थान आज पत्रकारिता…
भारत की कोरोना नीति के चंद नुक्सानदेह पहलू: राजेन्द्र चौधरी
कोरोना से हमारा वास्ता अभी लम्बे समय तक चलने वाला है. काफिला पर छपे पिछले आलेखों में में हम ने इस के सही और गलत, दोनों तरह के सबकों की चर्चा की थी पर भारत की करोना नीति की समीक्षा नहीं की थी. आपदा और युद्ध काल में एक कहा-अनकहा दबाव रहता है कि सरकार को पूरा समर्थन दिया जाए और उस की आलोचना न की जाय पर कोरोना के मुकाबले के लिए भारत में अपनाई गई रणनीति की समीक्षा ज़रूरी है; यह समीक्षा लम्बे समय तक चलने वाली इस आपदा में रणनीति में सुधार का मौका दे सकती है. कोरोना से कैसे निपटना चाहिए इस में निश्चित तौर पर सब से बड़ी भूमिका तो कोरोना वायरस की प्रकृति की है- ये गर्मी में मरेगा या सर्दी में या नहीं ही मरेगा; बूढों को ज्यादा मारेगा या बच्चों को, इन तथ्यों का इस से निपटने की रणनीति तय करने में सब से बड़ी भूमिका है. इस लिए भारत में कोरोना की लड़ाई के मूल्यांकन से पहले हमें वायरस की प्रकृति के बारे में उपलब्ध जानकारी को रेखांकित करना होगा.
प्रधानमंत्री जी से एक शिक्षक की हैसियत से विनती-अमरनाथ
( लेखक कलकत्ता विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर और हिन्दी विभागाध्यक्ष हैं.)
‘चॉक व चुनौतियों को मिलाकर विद्यार्थियों का जीवन बदलता शिक्षक’- अरुण कुमार कैहरबा
लेखक हिंदी विषय के अध्यापक तथा देसहरियाणा पत्रिका के सह-सम्पादक हैं
वैक्सीन काम कैसे करती है? – नवमीत नव
आखिर कोई वैक्सीन काम कैसे करती है? इस बारे में जानकारी दे रहें हैं नवमीत नव.
नवमीत पानीपत, हरियाणा के एन सी मेडिकल कॉलेज में सहायक प्रोफेसर हैं.
हरित क्रान्ति के जनक प्रो. एम.एस.स्वामीनाथन – अमर नाथ
आजादी के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा था, “बाकी सभी चीजों के लिए इंतजार किया जा सकता है, लेकिन कृषि के लिए नहीं।” उस समय हमारे देश की आबादी 30 करोड़ से कुछ अधिक थी। सन 1947 में किसी शादी-ब्याह में 30 से ज्यादा लोगों को नहीं खिलाया जा सकता था, जबकि आज तो जितना पैसा हो, उतने लोगों को दावत दी जा सकती है। आज सरकारी गोदामों में वर्षों के लिए सुरक्षित गेहूं और चावल का भंडार मौजूद है। इस गुणात्मक परिवर्तन के सूत्रधार हैं हरित क्रान्ति के जनक प्रो. एम.एस.स्वामीनाथन।
शिक्षा, शिक्षक और बदलावः एक चुनौती, एक अवसर – मुलख सिंह
शिक्षा का मतलब यह नहीं है कि दिमाग में कई ऐसी सूचनाएं एकत्रित कर ली जाएं जिसका जीवन में कोई इस्तेमाल ही नहीं हो। हमारी शिक्षा जीवन निर्माण, व्यक्ति निर्माण और चरित्र निर्माण पर आधारित होनी चाहिए। ऐसी शिक्षा हासिल करने वाला व्यक्ति उस व्यक्ति से अधिक शिक्षित माना जाना चाहिए जिसने पूरे पुस्तकालय को कण्ठस्थ कर लिया हो। अगर सूचनाएं ही शिक्षित होती तो पुस्तकालय ही संत हो गये हाते। – स्वामी विवेकानंद