Post Views: 1,837 चौधरी लाजपत राय लोहारू एक छोटी सी स्टेट थी। इसमें श्योराण जाटों के 52 गांव बसते थे। यह उस समय के जिला हिसार की तहसील भिवानी के…
शहीद उधम सिंह संबंधी जानकारी
Post Views: 600 जन्म : 26 दिसम्बर 1899 नाम : उधम सिंहमोहम्मद सिंह आजाद या मोहम्मद आजाद सिंहबावा सिंहशेर सिंहउदय सिंहउधन सिंह या उधान सिंहयूएस सिद्धू पिता का नाम :…
शहीद उधम सिंह पर एफ.आई.आर.
Post Views: 261 उधम सिंह की गिरफ्तारी 30 अगस्त 1927 को सिटी कोतवाली अमृतसर में दर्ज एफ.आई.आर. 327/139 की प्रति नंबर 5-24 (1) एफ.आई.आर. फौजदारी अपराध के संबंध में एक्ट…
शहीद उधम सिंह का मुकद्दमा
Post Views: 826 (4 जून 1940 को ओल्ड बैले की केंद्रीय अपराध अदालत में शुरू हुआ) ताज बनाम उधम सिंह जज : एंटकिंसन अदालती कारवाई का नेतृत्व कर रहा था। ज्यूरी…
किसानों के नाम मेरा संदेश -छोटू राम (अनु.) हरि सिंह
Post Views: 724 यदि दुनिया में कोई धंधा ऐसा है कि जिसकी नेक कमाई है तो वह यही किसान है। यदि दुनिया में कोई ऐसा व्यक्ति है जो संतोष जीवन…
नारनौल के सतनामी – सूरजभान
सतनामी सम्प्रदाय में जाट, चमार, खाती आदि छोटी जातियों के लोग शामिल थे। परन्तु उन्होंने अपने जातिगत भेद मिटा दिए थे। वे सादा भोजन करते और फकीरों जैसा बाना पहनते थे। सतनामी हर प्रकार के उत्पीड़न के खिलाफ थे। इसलिए अपने साथ हथियार लेकर चलते थे। दौलतमंदों की गुलामी करना उन्हें बुरा लगता था। उनका उपदेश था कि गरीब को मत सताओ। जालिम बादशाह और बेईमान साहूकार से दूर रहो।
दानवीर सेठ चौधरी छाज्जूराम – प्रिंस-लाम्बा
Post Views: 986 प्रिंस लाम्बा समाज सेवक व दानवीर चौधरी छाज्जूराम हरियाणा में ही नहीं, बल्कि भारतवर्ष में भी अपनी एक विशेष पहचान रखते है। इनका जन्म 27 नवंबर 1861…
सिंगापुर की गदरी फौजी बगावत में शहीद हुए हरियाणा के वीरों की सूची
Post Views: 1,034 भारतीय स्वतंत्रता-संग्राम में 1857 व गदर-लहर दो महत्त्वपूर्ण सशस्त्र विद्रोह रहे हैं। दिलचस्प बात ये है कि दोंनों में हरियाणा क्षेत्र की उल्लेखनीय भूमिका रही है। सिंगापुर…
जहाज कोठी- सुरेंद्र पाल सिंह
हिसार में एक स्थान का नाम है जहाजपुल। इसके बगल में ही एक इमारत है जिसमें एक टूटे हुए पत्थर की प्लेट पर अंग्रेजी और फ़ारसी में लिखा है जॉर्ज थॉमस 1796। फि़लहाल इस इमारत में पुरातत्व विभाग द्वारा एक अजायब घर बनाया हुआ है।
औरंगज़ेब और हिन्दू मंदिर – बी.एन. पाण्डे
एक उर्दू शायर ने बड़े दर्द के साथ लिखा है-
तुम्हें ले दे के, सारी दास्तां में, याद है इतना;
कि आलमगीर हिन्दुकुश था, ज़ालिम था, सितमगर था!