Post Views: 1,051 लघुकथा रमलू किसान ने इस बार उगी धान की फसल मंडी में 12 रूपये किलो बेची थी। पैसे की तुरन्त जरूरत के कारण उसने…
मां के कंगन (लघुकथा) – विनोद वर्मा 'दुर्गेश
आशा मन ही मन उस ईश्वर का धन्यवाद कर रही थी कि उसे एक खुद्दार पति मिला है। वह अपनी खुशी को भुलाकर रजत के साथ मां के कंगन और झुमके देने चल पड़ी।
मछली – कमलेश भारतीय
Post Views: 192 मछली लघु कथा एक सुबह आम दिनों की तरह बाजार के लिए निकला। मोड़ पार करते ही मूंगफली पटरी पर फैलाए दो लोग बैठे दिखे। मैंने…
रत्नकुमार सांभरिया की लघु कथाएं
Post Views: 237 लघु-कथा धर्म-धंधा मोहल्ले का मंदिर एक अर्से से अर्द्धनिर्माण पड़ा हुआ था। दीवारें बन चुकी थीं, छत की दरकार थी। मूर्तियां प्राण-प्रतिष्ठित थीं, अतः श्रद्धालुओं की…
जकड़न -अशोक भाटिया
Post Views: 320 अगले दिन उन्होंने शापिंग मॉल का रुख किया। वहां वे हबड़-तबड में सामान देखते रहे। इस बार वे काफी पैसे लेकर गए थे। पत्नी की निगाहें एक…