Post Views: 24 कुछ लोगों तथा संस्थाओं की ओर से मुझसे राष्ट्रभाषा हिन्दी के सम्बन्ध में कुछ प्रश्न पूछे गये हैं। इनका उत्तर में लिखित रूप में नीचे दे रहा…
गाँधी जी की राष्ट्रभाषा ‘हिन्दुस्तानी’ का क्या हुआ? – अमरनाथ
वैसे भी हिन्दुस्तानी कहने से जिस तरह व्यापक राष्ट्रीयता और सामाजिक समरता का बोध होता है उस तरह हिन्दी कहने से नहीं. जैसे पंजाबियों की पंजाबी, मराठियों की मराठी, बंगालियों की बंगाली, तमिलों की तमिल, गुजरातियों की गुजराती का बोध होता है उसी तरह हिन्दुस्तानी कहने से हिन्दुस्तानियों की हिन्दुस्तानी का बोध होता है. (लेख से)
चिन्दी चिन्दी होती हिन्दी। हम क्या करें?- अमरनाथ
स्मिताओं की राजनीति करने वाले कौन लोग हैं ? कुछ गिने –चुने नेता, कुछ अभिनेता और कुछ स्वनामधन्य बोलियों के साहित्यकार। नेता जिन्हें स्थानीय जनता से वोट चाहिए। उन्हें पता होता है कि किस तरह अपनी भाषा और संस्कृति की भावनाओं में बहाकर गाँव की सीधी-सादी जनता का मूल्यवान वोट हासिल किया जा सकता है। (लेख से)
हिन्दी जाति और उसका साहित्य- अमरनाथ
वस्तुत: हिन्दी साहित्य के इतिहास में जिसे हम अबतक रीतिकाल कहते आये हैं वह रीतिकालीन ब्रजभाषा का साहित्य हमारे जातीय साहित्य की मुख्य धारा का हिस्सा नहीं है, क्योंकि यह साहित्य तत्कालीन बहुसंख्यक जनता की चित्तवृत्तियों को प्रतिबिम्बित नहीं करता। अपवादों को छोड़ दें तो दो सौ वर्षों से भी अधिक समय तक के इस कालखण्ड के अधिकाँश हिन्दी कवि दरबारी रहे और अपने पतनशील आश्रयदाता सामंतों की विकृत रुचियों को तुष्ट करने के लिए श्रृंगारिक कविता या नायिकाभेद लिखते रहे। (लेख से)
राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 : ठेंगे पर राजभाषा- अमरनाथ
शिक्षा को पूरी तरह निजी हाथों में सौंप देगी. शिक्षा इतनी मंहगी हो जाएगी कि ज्ञान और प्रतिष्ठित नौकरियां भी थोड़े से अमीर लोगों के हाथ में सिमटकर रह जाएंगी. अपने घरों में स्थानीय बोलियाँ बोलने वाले किसानों और मजदूरों के ग्रामीण बच्चे भला महानगरों के पाँच सितारा अंग्रेजी माध्यम वाले बच्चों का मुकाबला कैसे कर सकेंगे? (लेख से)
पराई भाषा में पढ़ाई और गाँधी जी- अमरनाथ
गाँधी जी चाहते थे कि बुनियादी शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक सब कुछ मातृभाषा के माध्यम से हो. दक्षिण अफ्रीका प्रवास के दौरान ही उन्होंने समझ लिया था कि अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा हमारे भीतर औपनिवेशिक मानसिकता बढ़ाने की मुख्य जड़ है. ‘हिन्द स्वराज’ में भी उन्होंने लिखा कि, “करोड़ों लोगों को अंग्रेजी शिक्षण देना उन्हें गुलामी में डालने जैसा है. (लेख से )
उत्तर-दक्षिण भाषा-सेतु के वास्तुकार: मोटूरि सत्यनारायण – प्रो. अमरनाथ
Post Views: 96 आजादी के आन्दोलन के दौरान गाँधी जी के साथ हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में विकसित करने का जिन लोगों ने सपना देखा और उसके लिए आजीवन…
सरकारी सेवाओं से मातृभाषाओं की बिदाई – डॉ. अमरनाथ
Post Views: 120 यूपी बोर्ड की परीक्षा में आठ लाख विद्यार्थियों का हिन्दी में फेल होने का समाचार 2020 में सुर्खियों में था. कुछ दिन बाद जब यूपीपीएससी का रेजल्ट…
हिन्दी के योद्धा : डॉ. राम मनोहर लोहिया- प्रो. अमरनाथ
( लेखक कलकत्ता विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर और हिन्दी विभागाध्यक्ष हैं.)
महर्षि दयानंद सरस्वती : हिंदी के प्रथम सेनापति – प्रो. अमरनाथ
Post Views: 44 आर्यसमाज के अवदान को आज लोग भूल चुके हैं किन्तु एक समय में हिन्दू समाज को कुरीतियों, कुप्रथाओं, अंधविश्वासों और कुसंस्कारों से मुक्त करने में आर्यसमाज की…