सत्यवीर ‘नाहडिय़ा’ रागनी 1 माट्टी म्हं माट्टी हुवै, जमींदार हालात। करजा ले निपटांवता, ब्याह्-छूछक अर भात। ब्याह्-छूछक अर भात, रात-दिन घणा कमावै। मांह् -पौह् की बी रात, खेत म्हं खड़ा
सत्यवीर ‘नाहडिय़ा’ रागनी 1 माट्टी म्हं माट्टी हुवै, जमींदार हालात। करजा ले निपटांवता, ब्याह्-छूछक अर भात। ब्याह्-छूछक अर भात, रात-दिन घणा कमावै। मांह् -पौह् की बी रात, खेत म्हं खड़ा
शिक्षा व्यक्ति व समाज के विकास का माध्यम है। अपने बच्चों को सर्वश्रेष्ठ स्कूल में प्रवेश और कक्षा में सर्वोच्च स्थान पर लाने की होड़ इस दौर की सबसे बड़ी
ये कैसा फैशन आया है, जिसको देखो उसी ने टैटू गुदवाया है जिसकी हड्डियों पे माँस नहीं है उसने नरसिम्हा का टैटू बनवाया है
विनोद सिल्ला कविता मंच से उनका भाषण था समाज को ऊर्जा देने वाला समाज सेवा में उनका नाम था अव्वल हर तरफ उनके नाम की बोलती थी तूती हर तरफ
तीन दृश्य मेरी आंखों में ठहरे हुए हैं और इन दृश्यों में एक ही चेहरा सामने आता है। सोते-जागते मैं इन्हें देखता रहता हूँ। उस दिन मेरी ड्यूटी नाइट-शिफ्ट में
ओमसिंह अशफाक सरबजीत (30-12-1961—13-12-1998) दोस्तों का बिछडऩा बड़ा कष्टदायक होता है। ज्यों-ज्यों हमारी उम्र बढ़ती जाती है पीड़ा सहने की शक्ति भी क्षीण होती रहती है। जवानी का जोश तो