Post Views: 280 हरियाणवी ग़ज़ल सादी भोली प्यारी माँ, सै फुल्लां की क्यारी माँ। सबके चरण नवाऊं मैं, मेरी हो चै थारी माँ। सारी दुनियां भुल्ली जा, जाती नहीं बिसारी…
नफरत नै भी प्रीत समझ ले – कर्मचंद केसर
Post Views: 182 हरियाणवी ग़ज़ल नफरत नै भी प्रीत समझ ले, सबनैं अपणा मीत समझ ले। लय, सुर, ताल सहीं हों जिसके, जिन्दगी नै वा गीत समझ ले। आदर तै…
महेन्द्र प्रताप ‘चांद’ – एक मधुर सपना था, आख़िर टूट गया
Post Views: 227 गज़ल महेन्द्र प्रताप ‘चांद’ एक मधुर सपना था, आख़िर टूट गया तेरा दामन हाथ में आकर छूट गया! कितने मंज़र ओझल हुए निगाहों से बेटी से जब…
गलती इतनी भारी नां कर – कर्मचंद केसर
Post Views: 191 हरियाणवी ग़ज़ल गलती इतनी भारी नां कर। रुक्खां कान्नी आरी नां कर। मीठी यारी खारी नां कर, दोस्त गैल गद्दारी नां कर। नुमाइस की चीज नहीं…
कोय देख ल्यो मेहनत करकै – कर्मचंद केसर
Post Views: 142 हरियाणवी ग़ज़ल कोय देख ल्यो मेहनत करकै। फल के कड़छै मिलैं सैं भरकै। पत्थर दिल सैं लीडर म्हारे, उनके कान पै जूँ ना सरकै। जिन्दगी नैं इसा…
बुरे मणस का सग करै क्यूँ – कर्मचंद केसर
Post Views: 179 हरियाणवी ग़ज़ल बुरे मणस का सग करै क्यूँ। मन की स्यान्ति भंग करै क्यूँ। मानवता कै बट्टा लाग्गै, दीन दुखी नैं तंग करै क्यूँ। काग बणैं नां…
दुक्ख की इसी होई बरसात – कर्मचंद केसर
Post Views: 342 हरियाणवी ग़ज़ल दुक्ख की इसी होई बरसात। निखर गया सै मेरा गात। बिद्या बिन नर रह्ये अनाड़ी, जणु कोय दरखत सै बिन पात। बूढ़े माँ-बापां की खात्तर,…
मुसाफिर जाग सवेरा होग्या – कर्मचंद केसर
Post Views: 247 हरियाणवी ग़ज़ल मुसाफिर जाग सवेरा होग्या। चाल आराम भतेरा होग्या। कलजुग म्हं सच चढ़ग्या फांसी, झूठे के सिर सेहरा होग्या। सारा कुणबा मिलकै रह था, इब सबका…
रुक्खाँ जिसा सुभा बणा ले – कर्मचंद केसर
Post Views: 150 हरियाणवी ग़ज़ल रुक्खाँ जिसा सुभा बणा ले। सबनै हँंसकै गले लगा ले। जीणा भी तो एक कला सै, सोच-समझ कै टेम बित्या ले। राजा दुखिया रंक सुखी…
बुरी संगत म्हं जो भी पड़ग्या – कर्मचंद केसर
Post Views: 179 हरियाणवी ग़ज़ल बुरी संगत म्हं जो भी पड़ग्या। उसका समझो डूंह्ड उजड़ग्या। कतल केस म्हं सजा भुगत कै, नेता बण संसद म्हं बड़ग्या। जद कोयल की कूक…