मुग़लकालीन किसान आंदोलन से संबंधित इतिहास के विद्वानों ने बहुत कम लिखा है। बहुत पहले इरफ़ान हबीब ने अपनी पुस्तक, Agrarian System of Mughul India 1963 प्रकाशित की थी। उन्होंने अपनी पुस्तक
मुग़लकालीन किसान आंदोलन से संबंधित इतिहास के विद्वानों ने बहुत कम लिखा है। बहुत पहले इरफ़ान हबीब ने अपनी पुस्तक, Agrarian System of Mughul India 1963 प्रकाशित की थी। उन्होंने अपनी पुस्तक
जयपाल अपनी कविताओं में हमारे समय के यथार्थ के विभिन्न पक्षों को बहुत विश्वसनीय ढंग से प्रस्तुत करते हैं। सामाजिक-शक्तियों के बीच चल रहे संघर्षों का वर्णन करती ये कविताएं
हिंदू- मुस्लिम- सिक्ख ने अपनी अपनी नकारात्मक विरासतों को पीछे छोड़ते हुए सकारात्मक विरासत को आगे बढ़ाने का जिम्मा लिया है और यही है इस आंदोलन की रीढ़ की हड्डी। (लेख से )
किसान आन्दोलन पर पंजाबी के जानेमाने कवि सुरजीत पातर की कविता-
गौहर रज़ा (जन्म 17 अगस्त 1956) पेशे से एक भारतीय वैज्ञानिक हैं, और एक प्रमुख उर्दू कवि, सामाजिक कार्यकर्ता और वृत्तचित्र फिल्म निर्माता, जो आम जनता के बीच विज्ञान की समझ को लोकप्रिय बनाने के लिए काम कर रहे हैं. प्रस्तुत है किसान संघर्ष से प्रेरित गौहर रज़ा की एक नज़्म 'किसान'
मनजीत भोला का जन्म सन 1976 में रोहतक जिला के बलम्भा गाँव में एक साधारण परिवार में हुआ. इनके पिता जी का नाम श्री रामकुमार एवं माता जी का नाम श्रीमती जगपति देवी है. इनका बचपन से लेकर युवावस्था तक का सफर इनकी नानी जी श्रीमती अनारो देवी के साथ गाँव धामड़ में बीता. नानी जी की छत्रछाया में इनके व्यक्तित्व, इनकी सोच का निर्माण हुआ. इन्होने हरियाणवी बोली में रागनी लेखन से शुरुआत की मगर बाद में ग़ज़ल विधा की और मुड़ गए. इनकी ग़ज़लों में किसान, मजदूर, दलित, स्त्री या हाशिये पर खड़े हर वर्ग का चित्रण बड़ी संजीदगी के साथ चित्रित होता है. वर्तमान में कुरुक्षेत्र में स्वास्थ्य निरीक्षक के पद पर कार्यरत हैं.