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कविताNovember 3, 2018

कविता तुम्हें पूरा हक है खुद के खिलाफ युद्ध छेड़ देने का दरख्तों की हत्या करने का। कटे हुए इन दरख्त की चीखें अमानत होंगी तुम्हारे भविष्य की। यह तमाम

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अनुवादNovember 3, 2018

मैथ्यू आर्नल्ड (1822-1888) अनुवाद दिनेश दधीचि अपनी सँकरी शय्या में लेटो घुस कर अब जाओ, कुछ मत और कहो . व्यर्थ रहा आक्रमण तुम्हारा, सब पहले जैसा है आखिर तुम्हें

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कविताNovember 2, 2018

कविता वो बचपन के दिन कड़ै गए, वो छूटे साथी कड़ै गए, मैं ढूंढू उनको गळी-गळी वो यारे प्यारे कड़ै गए। वो खुडिया-डंडा, वो लुका छिपी वो तीज और गुग्गा

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कविताNovember 1, 2018

रॉबर्ट ब्राउनिंग हैमिल्टन (1812-1889)  अनुवाद – दिनेश दधीचि एक मील मैं चला एक मील मैं चला ख़ुशी संग वो बतियाती रही राह भर। कितना कुछ बतलाया उसने सीख न पाया

देसहरियाणा सामाजिक-सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का मंच

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