जब बिना बैड मरीज़ सड़क पर पड़े हों आक्सीजन के बिना लोग तड़प कर मर रहे हों हस्पतालों को आग के हवाले किया जा रहा हो मरीज़ जल कर राख
जब बिना बैड मरीज़ सड़क पर पड़े हों आक्सीजन के बिना लोग तड़प कर मर रहे हों हस्पतालों को आग के हवाले किया जा रहा हो मरीज़ जल कर राख
अपना लिखा भेजने में अमित मनोज के भीतर गहरा संकोच है। देस हरियाणा अमित मनोज से उनकी ये अप्रकाशित कविताएँ प्राप्त कर सका, इसके लिए हम अच्छा महसूस कर रहे
हालाँकि साबिर अली साबिर पकिस्तान के रहने वाले हैं, लेकिन साबिर की लोकप्रियता अब किसी देश की काल्पनिक सीमाओं की मोहताज नहीं रही। व्यापक मानवीय सरोकारों के चलते उनकी कविताएँ
'रूप, रंग, गंध लिखो मन की उड़ान हो गई जो स्वच्छंद लिखो तितली लिखो, फूल लिखोरेशम लिखो, प्रेम लिखोजो भी लिखोप्रशंसा, पैसा और सम्मान के ज़रूरतमंद लिखोचमक लिखो, दमक लिखोठसक
भगत सिंह की कुरबानी पर आल्हा गाने निकला हूँ,आज़ादी के दर्पण की मैं धूल हटाने निकला हूँ।शत-शत कोटिक नमन लेखनी भगत सिंह की करनी को,ऐसा बालक जनने वाली वीर प्रसूता
कवि लाल सिंह दिल पंजाब के प्रगतिशील साहित्य के आन्दोलन के एक बड़े कवि माने जाते हैं। उनका जन्म पंजाब के रामदासिया (चमार) समुदाय के एक गरीब परिवार में हुआ