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एक शर्त- एन्तॉन पावलेविच चेखव 

पांच मिनट बीत गए पर कैदी ने कोई हरकत नहीं की। पंद्रह वर्ष के कारावास से उसे स्थिर बैठने का अभ्यास हो गया था। बैंकर ने अपनी उंगली से खिड़की पर दस्तक दी। जवाब में कैदी ने कोई हरकत नहीं की। फिर बैकर ने सावधानी से दरवाजे की सील तोड़ दी और ताले में चाबी घुमाई। जंग लगे ताले से एक कर्कश सी गुर्राने जैसी आवाज निकली। दरवाजा चरमरा उठा….(कहानी से)

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एक पाठक – मक्सिम गोर्की

“रुको नहीं, मेरे साथ तुम सही रास्ते पर हो” उसने कहा, “बात शुरू करो, तुम मुझे यह बताओ कि साहित्य का उद्देश्य क्या है ?” मेरा अचरज बढ़ता जा रहा था और आत्मसंतुलन घटना जा रहा था । आखिर यह आदमी मुझसे चाहता क्या है? और यह है कौन ? निस्संदेह वह एक दिलचस्प आदमी था, लेकिन मैं उससे खीज उठा था । (कहानी से)

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अंतिम बेला में- रविंद्रनाथ ठाकुर, अनुवाद- योगेश शर्मा

योगेश शर्मा कुरुक्षेत्र विश्विद्यालय में हिंदी स्नातकोत्तर के अंतिम वर्ष के छात्र और देस हरियाणा की प्रबन्धन टीम का हिस्सा हैं

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वर्ष 2020 के लिए नोबेल पुरस्कार हेतु घोषित अमेरिकी कवियत्री लुईस ग्लूक की कविता- अवेर्नो, (अनुवाद-विनोद दास)

लुईस ग्लूक बेहद सम्मानित साहित्यकार हैं. वो सामाजिक मुद्दों पर भी काफी सक्रिय रहती हैं. लुईस येल यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी की प्रोफेसर हैं. उनका जन्म 1943 में न्यूयॉर्क में हुआ था. उनके नोबेल प्रशस्ति पत्र में कहा गया कि उनके लेखन में बाद की पुनरावृत्ति के लिए इन तीन विशेषताओं में एकजुट होना दिखाई देता ह्रै. लुईस ग्लुक के कविता के बारह संग्रह और कुछ संस्करणों को प्रकाशित हुए हैं. उनकी कविताओं में खुद के सपनों और भ्रमों के बारे में जो कुछ बचा है, उसे कहा गया है. स्वीडिश एकेडमी ने कहा कि कवयित्री लुईस को उनकी बेमिसाल काव्यात्मक आवाज के लिए यह सम्मान दिया गया, जो खूबसूरती के साथ व्यक्तिगत अस्तित्व को सार्वभौमिक बनाता है. (स्त्रोत-इंटरनेट)

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Post Views: 47 प्रश्न-“आपके यहाँ इतनी अधिक भाषाएँ, इतनी अधिक जातियाँ हैं कि उनका पूरा गड़बड़झाला है। आप एक-दूसरे को किस तरह से समझ पाते हैं?”  अबूतालिब का जवाब-“जो भाषाएँ…

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शाहीन बाग़ के प्रकाशपुंज – स्वराजबीर – अनु. – जगजीत विर्क

गुरु गोबिन्द सिंह की अगुवाई में सिखों ने चमकौर की गढ़ी और नारनौल के सतनामियों ने नारनौल इलाके की कच्ची गढ़ियों में से हाकिमों के विरुद्ध लड़ाई लड़ी थी। उन गढ़ियों में से उठे संघर्ष कामयाब हुए और लाल किले में बैठे हाकिमों को हार का मुंह देखना पड़ा। ज़ुल्म के खिलाफ आवाज़ उठाना अपने आप में मानवता की जीत है। जम्हूरियत के लिए हो रहे संघर्षों की खुशबू बसी हुई है और खुशबू को कत्ल नहीं किया जा सकता।

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पंजाब का सांस्कृतिक त्यौहार लोहड़ी – डा. कर्मजीत सिंह अनुवाद – डा. सुभाष चंद्र

लोहड़ी पंजाब के मौसम से जुड़ा ऐसा त्यौहार है, जिसकी अपनी अनुपम विशेषताएं हैं। जैसे यह त्यौहार पौष की अंतिम रात को मनाया जाता है, जबकि भारत के दूसरे भागों में अगले दिन ‘संक्रांति’ मनाई जाती है। इस त्यौहार पर पंजाब के लोग आग जलाते हैं। संक्रांति पर ऐसा नहीं होता, केवल नदियों-सरोवरों में स्नान किया जाता है। लोहड़ी में तिलों और तिलों की रेवड़ियों की आहूति दी जाती है।

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गांधी क्या बला है! – चौधरी छोटू राम

Post Views: 854 अनुवाद-हरि सिंह बटलर ने अन्य विषयों के अलावा भारतीय राजनीति पर छाई गांधी नामक परिघटना को भी अपने इस किसान-मित्र के माध्यम से जानना चाहा। जवाब में…