साहित्य मनुष्यता निर्माण की परियोजना है, उसका अध्ययन-अध्यापन भी इसी संदर्भ में सार्थकता प्राप्त करता है। साहित्यिक रचना के मर्म और सौंदर्य का उद्घाटन ही साहित्य के अध्यापक का काम
प्रेमचंद ने हिंदी और भारतीय साहित्य को गहरे से प्रभावित किया.साहित्य को यथार्थ से जोड़ा. किसान-मजदूर का शोषण, दलित उत्पीड़न, साम्प्रदायिक-विद्वेष, लैंगिक असमानता की समस्या के विभिन्न पहलुओं पर अपनी
कन्हैयालाल अपने दफ्तर के हमजोलियों और मित्रों से दो तीन बरस बड़ा ही था, परन्तु ब्याह उसका उन लोगों के बाद हुआ। उसके बहुत अनुरोध करने पर भी साहब ने
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