साहिर लुधियानवीख़ून अपना हो या पराया हो नस्ले-आदम का ख़ून हैआख़िर जंग मग़रिब में हो कि मशरिक में अमने आलम का ख़ून हैआख़िर बम घरों पर गिरें कि सरहद पर
साहिर लुधियानवीख़ून अपना हो या पराया हो नस्ले-आदम का ख़ून हैआख़िर जंग मग़रिब में हो कि मशरिक में अमने आलम का ख़ून हैआख़िर बम घरों पर गिरें कि सरहद पर
सेवा देश दी जिंदड़िए बड़ी ओखी,गल्लां करणियां ढेर सुखल्लियां ने।जिन्नां देश सेवा विच पैर पाइयाउन्नां लख मुसीबतां झल्लियां ने। – करतार सिंह सराभा यह साल जलियांवाला बाग नरसंहार
अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस हर वर्ष, 8 मार्च को मनाया जाता है। ये आइडिया एक औरत का ही था. क्लारा ज़ेटकिन ने 1910 में कोपेनहेगन में कामकाजी औरतों की एक
खतरनाक औरतयह कविता देस हरियाणा द्वारा आयोजित तीसरे हरियाणा सृजन उत्सव में 9 फरवरी 2019 को राष्ट्रीय बहुभाषी कवि सम्मेलन में सुनाई गयी थी।रचनाकार और आवाज – नीतू अरोड़ादेस हरियाणा