हरियाणवी ग़ज़ल रिसाल जांगड़ा गहराई तक जावण म्हं बखत तो लागै सै। सच्चाई उप्पर ल्यावण म्हं बखत तो लागै…
Author: रिसाल जांगड़ा
बाळक हो गए स्याणे घर मैं-रिसाल जांगड़ा
हरियाणवी ग़ज़ल बाळक हो गए स्याणे घर मैं। झगड़े नवे पुराणे घर मैं। आए नवे जमाने घर मैं। ख्याल लगे…
बखत पड़े पै रोवै कौण -रिसाल जांगड़ा
हरियाणवी ग़ज़ल बखत पड़े पै रोवै कौण। करी कराई खोवै कौण। मशीन करैं सैं काम फटापट, डळे रात दिन ढोवै…
जिनके दिल मैं भरग्ये खटके-रिसाल जांगड़ा
हरियाणवी ग़ज़ल जिनके दिल मैं भरग्ये खटके, अपणी मंजिल तै वैं भटके। देख बुढापा रोण पड़ग्या, याद आवैं जोबन के…