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बेहतर समाज: अब नहीं तो कब? – राजेंद्र चौधरी

इस अवसर पर परिवर्तन के प्रति आशावान होने के कुछ विशेष कारण भी हैं. वर्तमान व्यवस्था कि कई कमज़ोरियाँ जो दबी ढकी थी, वो उघड कर सामने आ गई हैं, सब से बड़ी बात तो यह है कि बहुत बड़े पैमाने पर देश की जनता के पास कोई आर्थिक सुरक्षा और बचत नहीं है, उन की कमाई बमुश्किल इतनी है कि रोज़ कमाते हैं और खाते हैं. और जिन के पास चंद दिनों की तालाबंदी सहन करने की ताकत नहीं है, बुढ़ापा और बीमारी तो उन को भी आती होगी, तब क्या होता होगा इनका, यह सोच कर भी डर लगता है.

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रसायनमुक्त वैकल्पिक कृषि क्रांतिकारी कृषि – राजेन्द्र चौधरी

Post Views: 873 खेती-बाड़ी वर्तमान में प्रचलित रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशक आधारित खेती संकट में है इसके बारे में शायद ही कोई मतभेद है। सरकारी और कृषि संस्थानों के दस्तावेज…