Author: ओम प्रकाश ग्रेवाल

डा. ओमप्रकाश ग्रेवाल (1937 – 2006) हरियाणा के भिवानी जिले के बामला गांव में 11 जुलाई 1937 को जन्म हुआ।भिवानी से स्कूल की शिक्षा प्राप्त करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की। अमेरिका के रोचेस्टर विश्वविद्यालय से पीएच डी की उपाधि प्राप्त की। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर रहे। कला एवं भाषा संकाय के डीन तथा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के डीन एकेडमिक अफेयर रहे। जनवादी लेखक संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं महासचिव रहे। जनवादी सांस्कृतिक मंच हरियाणा तथा हरियाणा ज्ञान-विज्ञान समिति के संस्थापकों में रहे। साक्षरता अभियान मे सक्रिय रहे। ‘नया पथ’ तथा ‘जतन’ पत्रिका के संपादक रहे। एक शिक्षक के रूप में अपने विद्यार्थियों, शिक्षक सहकर्मियों व शिक्षा के समूचे परिदृश्य पर शैक्षणिक व वैचारिक पकड़ का अनुकरणीय आदर्श स्थापित किया। हिंदी आलोचना में तत्कालीन बहस में सक्रिय थे और साहित्य में प्रगतिशील रूझानों को बढ़ावा देने के लिए अपनी लेखनी चलाई। नव लेखकों से जीवंत संवाद से सैंकड़ों लेखकों को मार्गदर्शन किया। वे जीवन-पर्यंत साम्प्रदायिकता, जाति-व्यवस्था, सामाजिक अन्याय, स्त्री-दासता के सांमती ढांचों के खिलाफ सांस्कृतिक पहल की अगुवाई करते रहे। प्रगतिशील-जनतांत्रिक मूल्यों की पक्षधरता उनके व्यवहार व लेखन व वक्तृत्व का हिस्सा हमेशा रही। गंभीर बीमारी के चलते 24 जनवरी 2006 को उनका देहांत हो गया।

लूकाच का वास्तविकतावाद – डा. ओमप्रकाश ग्रेवाल

Post Views: 356 मार्क्सवाद के बारे में बहुत से पर्वाग्रह लोगों के मन में घर कर गये हैं। उनमें से एक मुख्य धारणाा यह है कि इस दृष्टिकोण से प्रतिबद्धता

Continue readingलूकाच का वास्तविकतावाद – डा. ओमप्रकाश ग्रेवाल

जॉर्ज लूकाच – डा. ओमप्रकाश ग्रेवाल

Post Views: 279 साहित्यिक मसलों की मार्क्सवादी दृष्किोण से व्याख्या करने वाले समर्थ आलोचकों में लूकाच का नाम आता है। किन्तु उनकी कुछ मुख्य स्थापनाओं के बारे में मार्क्सवादी चिन्तकों

Continue readingजॉर्ज लूकाच – डा. ओमप्रकाश ग्रेवाल

कविता की भाषा और जनभाषा – डा. ओमप्रकाश ग्रेवाल

Post Views: 3,215 कविता की भाषा का जन-भाषा से किस प्रकार का सम्बन्ध हो इस प्रश्न पर हम यहां केवल जनवादी कविता के संदर्भ में ही विचार करेंगे। कविता की

Continue readingकविता की भाषा और जनभाषा – डा. ओमप्रकाश ग्रेवाल

डा. ओमप्रकाश ग्रेवाल व रमेश उपाध्याय का पत्र-व्यवहार

Post Views: 331 डा. ओमप्रकाश ग्रेवाल का पत्र -1 ई-16, यूनिवर्सिटी कैम्पस,कुरुक्षेत्र (हरियाणा)-132119 30 अगस्त 1991 प्रिय भाई रमेश,             आपका पत्र। बीच में एकाध दिन के लिए बाहर जाना

Continue readingडा. ओमप्रकाश ग्रेवाल व रमेश उपाध्याय का पत्र-व्यवहार

मध्यवर्ग के आदर्शवादी तत्व और आरक्षण का सवाल -डा. ओमप्रकाश ग्रेवाल

Post Views: 373 पिछले साल मंडल आयोग की सिफारिशों के आधार पर सरकारी नौकरियों में से सत्ताईस प्रतिशत को सामाजिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित करने के राष्ट्रीय

Continue readingमध्यवर्ग के आदर्शवादी तत्व और आरक्षण का सवाल -डा. ओमप्रकाश ग्रेवाल

विकल्प की कोई एक अवधारणा नहीं – डा. ओमप्रकाश ग्रेवाल

Post Views: 219  विकल्प का सवाल आज पहले से भी जटिल हो गया है, लेकिन विकल्प की अनिवार्यता में कोई अन्तर नहीं आया है। आप ने इस परिचर्चा का विषय

Continue readingविकल्प की कोई एक अवधारणा नहीं – डा. ओमप्रकाश ग्रेवाल

जातिवाद जनविरोधी राजनीति का एक औजार – डा. ओमप्रकाश ग्रेवाल

Post Views: 140             एक सामाजिक ढांचे के तौर पर ग्राम-समाज या विलेज कम्युनिटी ऐतिहासिक विकास का प्रतिफलन है। इसके उभरकर आने के बाद इतिहास में इसको बनाए रखने की

Continue readingजातिवाद जनविरोधी राजनीति का एक औजार – डा. ओमप्रकाश ग्रेवाल

रचना के कलात्मक और ज्ञानात्मक मूल्यों का सहयोजन-डा. ओमप्रकाश ग्रेवाल

Post Views: 276 इस प्रश्न पर विचार करते समय सबसे पहले हमें यह याद रखना होगा कि किसी भी रचना के कलात्मक और ज्ञानात्मक पक्षों को एक-दूसरे के विरोध में

Continue readingरचना के कलात्मक और ज्ञानात्मक मूल्यों का सहयोजन-डा. ओमप्रकाश ग्रेवाल

हरियाणा में रागनी की परम्परा और जनवादी रागनी की शुरुआत – डा. ओमप्रकाश ग्रेवाल

रागनी की असली जान, ठेठ लोकभाषा के मुहावरों में सीधी-सादी लय अपनाने में और ऐसे मर्म-स्पर्शी कथा प्रसंगों के चुनाव में होती हैं ” जो लोगों के मन में रच-बस गये हों। इन सबके सहारे ही रागनी लोगों की भावनाओं को, उनकी पीड़ाओं तथा दबी हुई अभिलाषाओं को सुगम और सरल ढंग से प्रस्तुत करने में सफल होती हैं। … Continue readingहरियाणा में रागनी की परम्परा और जनवादी रागनी की शुरुआत – डा. ओमप्रकाश ग्रेवाल

जॉर्ज लूकाच -डा. ओमप्रकाश ग्रेवाल

Post Views: 904 साहित्यिक मसलों की मार्क्सवादी दृष्किोण से व्याख्या करने वाले समर्थ आलोचकों में लूकाच का नाम आता है। किन्तु उनकी कुछ मुख्य स्थापनाओं के बारे में मार्क्सवादी चिन्तकों

Continue readingजॉर्ज लूकाच -डा. ओमप्रकाश ग्रेवाल