सिपाही के मन की बात – मंगतराम शास्त्री
Post Views: 156 कान खोल कै सुणल्यो लोग्गो कहरया दर्द सिपाही का। लोग करैं बदनाम पुलिस का धन्धा लूट कमाई का।। सारी हाणां रहूँ नजर म्ह मेरी नौकरी वरदी की
सै दरकार सियासत की इब फैंको गरम गरम – मंगतराम शास्त्री
मंगतराम शास्त्री हरियाणा के समसामयिक विषयों पर रागनी लिखते हैं. यथार्थपरकता उनकी विशेषता है. … Continue readingसै दरकार सियासत की इब फैंको गरम गरम – मंगतराम शास्त्री
सामण का स्वागत – मंगतराम शास्त्री
Post Views: 214 शीळी शीळी बाळ जिब पहाड़ां म्ह तै आण लगै होवैं रूंगटे खड़े गात के भीतरला करणाण लगै राम राचज्या रूई के फोयां ज्यूं बादळ उडण लगैं समझो
घाणी फोड़ रही थी जोट न्यूं आपस में बतलाई – मंगतराम शास्त्री
Post Views: 157 (प्रचलित तर्ज- होळी खेल रहे नन्दलाल…)घाणी फोड़ रही थी जोट न्यूं आपस में बतलाईहम रहां माट्टी संग माट्टी, म्हारी जड़ चिन्ता नै चाट्टीपाट्टी पड़ी खेस की गोठ,
Continue readingघाणी फोड़ रही थी जोट न्यूं आपस में बतलाई – मंगतराम शास्त्री
झूठ कै पांव नहीं होते- मंगत राम शास्त्री
Post Views: 319 मंगतराम शास्त्री झूठ कै पांव नहीं होते सदा जीत ना होया करै छल कपट झूठ बेईमाने की एक न एक दिन सच्चाई बणती पतवार जमाने की झूठ
डरे हुए समय का कवि- मंगत राम शास्त्री
Post Views: 225 मंगतराम शास्त्री तब डरे हुए समय का कवि वहाँ पर विराजमान था जब बिना शहीद का दर्जा पाए लोट रहा था अर्ध सैनिक शहीद और स्वागत में
सासड़ होल़ी खेल्लण जाऊंगी- मंगत राम शास्त्री
Post Views: 323 मंगतराम शास्त्री सासड़ होल़ी खेल्लण जाऊंगी, बेशक बदकार खड़े हों। री मनै पकड़ना चावैंगे, जाणूं सूं जाल़ बिछावैंगे ना उनकै काबू आऊंगी, कितनेए हुशियार खड़े हों। हेरी
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वो कैसे नव वर्ष मनाए- मंगत राम शास्त्री
Post Views: 142 मंगतराम शास्त्री आज का दिन भी वैसा ही बीतेगा जैसा कल बीता। कल का दिन भी वैसा ही बीतेगा जैसा कल बीता।। सैकिंड मिन्ट और घंटे दिन
अन्नदाता सुण मेरी बात – मंगत राम शास्त्री
Post Views: 208 मंगतराम शास्त्री अन्ऩदाता सुण मेरी बात तूं हांग्गा ला कै दे रुक्का। सारे जग का पेट भरै तूं फेर भी क्यूं रहज्या भुक्खा।। माट्टी गेल्यां माट्टी हो