अधबने फूल की हिमायत में – कुलदीप कुणाल

 कविता अधबने फूल की हिमायत में उस स्कूल में बहुत से चित्र थे एक बच्चा चिंतित था क्यूंकि होमवर्क पूरा…

डिजिटल चावल – कुलदीप कुणाल

कविता डिजिटल चावल और चींटी चावल का दाना छोड़ कर चली गयी, और इस तरह से चावल का वो दाना…

बीस बरस की लड़की – कुलदीप कुणाल

कविता बीस बरस की लड़की अब हो गयी तुम पूरे बीस बरस की लड़की ये उम्र है किसी का कहा…

सभ्यता के गुमान में – कुलदीप कुणाल

कविता सभ्यता के गुमान में सदियों पहले जब आदिमानव बिना कपड़ों के जीता था तब भी उसे एक मादा ने…