कर्मचन्द ‘केसर’ ग़ज़ल सीळी बाळ रात चान्दनी आए याद पिया। चन्दा बिना चकौरी ज्यूँ मैं तड़फू सूँ पिया। तेरी…
Author: कर्मचंद केसर
धरम घट्या अर बढ़ग्या पाप -कर्मचन्द ‘केसर’
कर्मचन्द ‘केसर’ ग़ज़ल कलजुग के पहरे म्हं देक्खो, धरम घट्या अर बढ़ग्या पाप। समझण आला ए समझैगा, तीरथाँ तै…
हालात तै मजबूर सूं मैं -कर्मचन्द केसर
कर्मचन्द ‘केसर’ ग़ज़ल हालात तै मजबूर सूँ मैं। दुनियां का मजदूर सूँ मैं। गरीबी सै जागीर मेरी, राजपाट तै दूर…
जीन्दे जी का मेल जिन्दगी – कर्मचंद केसर
हरियाणवी ग़ज़ल जीन्दे जी का मेल जिन्दगी। च्यार दिनां का खेल जिन्दगी। फल लाग्गैं सैं खट्टे-मीठे, बिन पात्यां की बेल…