साखी – कटू बचन कबीर के, सुनत आग लग जाय। शीलवंत1 तो मगन भया, अज्ञानी जल जाय।।टेक अवधू दोनों दीन…
Author: कबीर
कहां से आया कहां जाओगे -कबीर
साखी – अलख1 इलाही2 एक है, नाम धराया दोय। कहे कबीर दो नाम सुनी, भरम3 पड़ो मति कोय।।टेक कहां से…
भक्ति करो ब्राह्मांड में – कबीर
साखी -गुरु लोभी शिष्य लालची, दोनों खैले दाव। दोनों बपुरे बूडही1, चढ़ी पत्थर की नाव।।टेक भक्ति करो ब्राह्मांड में साधु-…
जग मैं भूला रे भाई – कबीर
साखी – हंसा तू तो सबल था, हलुकी1 अपनी चाल। रंग करंगे रंगिया, किया और लगवार2।टेक जग मैं भूला रे…