जयपाल

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कविताJuly 5, 2019

अधिकारी महोदयतुम चाहे जिस भी जाति से होंहम अपनी बेटी की शादी तुम्हारे बेटे से कर सकते हैंपर हमारी भी एक प्रार्थना हैसगाई से पूर्व तुम्हें अपने घर सेरविदास और

देसहरियाणा सामाजिक-सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का मंच

कविताJune 9, 2019

वे दिन भर शहर की सूरत संवारते हैंऔर अपनी सूरत बिगाड़ते हैंदिन ढलने परसिर नीचा करमुंह लटकाएचल पड़ते हैं वापिसअपने घरों की तरफहताश-निराशजैसे शमशान से लौटते हैं लोगखाली हाथ 

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कविताJune 9, 2019

जाले हर युग के होते हैंहर युग बुन लेता है अपने जालेहर युग चुन लेता है अपने जालेधूल मिट्टी से सने प्राचीन जालेमोती से चमकते नवीन जालेसमय इन जालों से

देसहरियाणा सामाजिक-सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का मंच

कविताJune 9, 2019

वे आर्थिक सुधार करेंगेमरने को मजबूर कर देंगेवे रोजगार की बात करेंगेरोटी छीन लेंगेवे शिक्षा की बात करेंगेव्यापार के केन्द्र खोल देंगेवे शान्ति की अपील करेंगेजंग का ऐलान कर देंगेवे

कविताJune 9, 2019

तमाशा दिखाता है बच्चान सांप से डरता है न नेवले सेन बंदर से न भालू सेन शेर से न हाथी सेरस्सी पर चलता है बच्चागिरने से नहीं डरताआग में कूदता

देसहरियाणा सामाजिक-सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का मंच

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