Author: दिनेश दधिची

स्वरूप – कैरल ऐन डफ़ी

Post Views: 161 कैरल ऐन डफ़ी (जन्म 1955 )  अनुवाद -दिनेश दधीचि दरिया का स्वरूप है बगुला रजनी की सूरत है चांद गगन बना है रूप अनंत का श्वेत दीखते हिम

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अंतिम शब्द – मैथ्यू आर्नल्ड

Post Views: 251 मैथ्यू आर्नल्ड (1822-1888) अनुवाद दिनेश दधीचि अपनी सँकरी शय्या में लेटो घुस कर अब जाओ, कुछ मत और कहो . व्यर्थ रहा आक्रमण तुम्हारा, सब पहले जैसा

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एक मील मैं चला – रॉबर्ट ब्राउनिंग हैमिल्टन

Post Views: 248 रॉबर्ट ब्राउनिंग हैमिल्टन (1812-1889)  अनुवाद – दिनेश दधीचि एक मील मैं चला एक मील मैं चला ख़ुशी संग वो बतियाती रही राह भर। कितना कुछ बतलाया उसने

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एमिली डिकिंसन की तीन कविताएं

Post Views: 256 एमिली डिकिंसन (1830-1886)  अनुवाद – दिनेश दधीचि (1) जड़े मोती हैं जिन प्यालों में उनमें ढाल कर मैंने चखा है स्वाद उस मय का कि जैसी बन नहीं

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मुझे इंतज़ार है – लारेंस फ़र्लिंगेटी

Post Views: 129 लारेंस फ़र्लिंगेटी (जन्म 1919 ) अनुवाद – दिनेश दधीचि मुझे इंतज़ार है कि कब निरीह इन्सानों के दिन फिरेंगे और कब वे बिना टैक्स चुकाए सच में

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रात के पास हैं हज़ार आंखें – फ़्रांसिस विलियम बोर्दिलान

Post Views: 202 फ़्रांसिस विलियम बोर्दिलान (1852-1921)  अनुवाद – दिनेश दधीचि रात के पास हैं हज़ार आंखें और दिन को मिली है एक फ़क़त। फिर भी उस एक के न

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तस्वीर – स्टैनले कुनिट्ज

Post Views: 177 स्टैनले कुनिट्ज (1905-2006) अनुवाद – डा. दिनेश दधीचि मेरी मां ने मेरे पिता को इस बात के लिए कभी माफ़ नहीं किया कि उसने आत्महत्या कर ली थी उस

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 कंधे – नाओमी शिहाब नाय

Post Views: 135 नाओमी शिहाब नाय ( जन्म 1952 ) अनुवाद-डा. दिनेश दधीचि    बारिश में एक शख़्स गली पार कर रहा है धीमे कदम रखते हुए उत्तर-दक्षिण को दो बार देखते

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सपने के भीतर इक सपना – एड्गर ऐलन पो

Post Views: 303 एड्गर ऐलन पो (1809-1849) अनुवाद – दिनेश दधीचि माथे पर यह चुंबन ले लो! और, जुदाई के इस पल में इतना मुझको कह लेने दो– ग़लत नहीं,

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रेगिस्तान में मैंने देखा – स्टीफ़न क्रेन

Post Views: 186 स्टीफ़न क्रेन (1871-1900) अनुवाद – दिनेश दधीचि रेगिस्तान में मैंने देखा प्राणी एक नग्न और वहशी घुटने मोड़े उकड़ू बैठा था ज़मीन पर, पकड़े हुए हाथ में अपना

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